प्रधानमंत्री ने जनसँख्या असंतुलन पर चिंता जाहिर करके हमारी पीड़ा को स्वीकार किया है- यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी
जगदम्बा महाकाली डासना वाली के परिवारजनों ने जनसँख्या नियंत्रण कानून की मांग को लेकर श्री सुरेश चव्हाणके जी के साथ पूरे भारत की यात्रा करने वाले वीरचक्र विजेता कर्नल टी पी एस त्यागी जी व जनसँख्या समाधान फाउंडेशन के अनिल चौधरी का किया गया भव्य अभिनन्दन
सुर्या बुलेटिन (ग़ाज़ियाबाद) आज आर डी सी स्थित कृष्णा सागर में जगदम्बा महाकाली डासना वाली के परिवार की एक बैठक हुई जिसमे अखिल भारतीय संत परिषद के राष्ट्रीय संयोजक यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज,शिवशक्ति धाम डासना की महंत व हिन्दू स्वाभिमान की राष्ट्रीय अध्यक्ष यति माँ चेतनानन्द सरस्वती जी,प्रखर हिंदूवादी विचारक श्री विनोद सर्वोदय जी,डॉ हरपाल सिंह जी,डॉ आर के तोमर,बाबा परमेन्द्र आर्य,आचार्य दीपक तेजस्वी,पहलवान राजेश यादव,श्री सर्वेश मित्तल,श्रीमती शशि चौहान,श्री नीरज त्यागी,श्री अक्षय त्यागी, श्री अनिल यादव,श्री सतेंद्र चौहान,श्री राजकुमार त्यागी,श्री सतीश गर्ग,श्री प्रमोद बंसल,श्री राजीव शर्मा, श्री सतेंद्र त्यागी, श्री कृष्णा त्यागी,कपिल त्यागी,अरुण मोरटी तथा अन्य भक्तगणों ने भाग लिया।
बैठक में सभी लोगो प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को लाल किले की प्राचीर से भारतवर्ष की सबसे बड़ी समस्या जनसँख्या असंतुलन पर बोलने के लिये साधुवाद ज्ञापित किया और उनसे जल्दी से जल्दी इस समस्या के हल के चीन के जैसा कड़ा कानून बनाने का अनुरोध किया।
बैठक को संबोधित करते हुए यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा की प्रधानमंत्री मोदी जी ने जनसँख्या असंतुलन की बात करके उस संघर्ष को प्रमाणित किया है जिसे हम सब बीस से भी ज्यादा वर्षों से कर रहे हैं।अब ये हम सबकी जिम्मेदारी है की प्रधानमंत्री जी को मजबूत करके इस कानून को बनवाये। इस कानून के बनने से ही भारतवर्ष सही मायनों में वैश्विक महाशक्ति के रूप में विकसित देश बन सकेगा।कठोर जनसँख्या नियंत्रण कानून का संकल्प लेकर मोदी जी उन सभी देश और मानवता के दुश्मनो के सपनो को तोड़ दिया है जो अपनी जनसँख्या को बढ़ाकर इस देश को पुनः गुलाम बनाना चाहते हैं।इस साहसिक कदम के बाद प्रधानमंत्री जी हमारे लिये बधाई और अभिनन्दन के पात्र हो गए हैं।
उन्होंने यह भी कहा की संघर्ष अभी पूरा नहीँ हुआ है।जिन लोगों ने जनसँख्या नियंत्रण कानून की लड़ाई लड़ी है,अब उनकी जिम्मेदारी और भी बहुत बढ़ गयी है।जब तक ये कानून मूर्त रूप न ले ले तब तक अपने आन्दोलन और प्रयासों की धार क्षण भर के लिये भी कुंद न होने दें।