पाकिस्तान में अल्प संख्यक हिंदू-सिख बेबसी का शिकार
-विश्व समुदाय को युवतियों का जबरन धर्मान्तरण- निकाह के खिलाफ एकजुट
होने की जरुरत
सुर्या बुलेटिन(गाजियाबाद) हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ननकाना साहिब इलाके से एक सिख
परिवार की 18 वर्षीय बेटी को अगवा कर लिया गया. वहां के मुस्लिमों ने
जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया और पूर्व निर्धारित व सोची समझी साजिश के
तहत मोहम्मद हसन नामक युवक से उसका निकाह करा दिया गया. इस मामले में जब
सिख समुदाय ने पाकिस्तान के इस कुकृत्यों और साजिश के खिलाफ भारत समेत
दुनिया भर के देशों में आवाज उठायी तो पाकिस्तान के मुसलमानों घिर गए.
उन्होंने पीड़ित सिख लड़की पर भारी दबाब बनाकर कैमरे के सामने ये कहलवा
किया कि वह बालिग है और उसने बिना किसी दबाब के स्वेच्छा से इस्लाम धर्म
अपना कर अपने परिचित मुस्लिम युवक से शादी की है. ये मेरा निजी मामला है
और इसे अनावश्यक रुप से तूल न दिया जाये. उधर पंजाब के गवर्नर चौधरी
मोहम्मद सरवर ने एक वीडियो ट्वीट में इस मामले को पूरी तरह से सुलझाने की
जानकारी दी.
इस वीडियो में गवर्नर ने कहा, “पूरी दुनिया के लिए और पाकिस्तान के सिखों
के लिए यह बड़े इत्मिनान की बात है कि दोनों घरों की आपस में बैठ कर सुलह
हो गई है. “इसी वीडियो में लड़के के पिता ने कहा, “हमें गवर्नर साहब ने
अपने दफ़्तर में बुला कर हमारे बीच सुलह करवाई है. हम इस मामले से खुद को
अलग करते हैं, अगर वो अपने परिवार के साथ जाती है तो हमें कोई ऐतराज़
नहीं है.”
उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, “पाकिस्तान और पूरी दुनिया के सिख समुदाय
के लिए अच्छी ख़बर है. ननकाना की बेटी का मामला संबंधित परिवारों की
रज़ामंदी से सौहार्दपूर्ण तरीके से हल कर लिया गया है. बेटी सुरक्षित है
और अपने परिवार के साथ संपर्क में है. हम पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के
अधिकार को पक्का करना जारी रखेंगे.”
इस घटना के कुछ दिन पहले ही एक हिन्दू लड़की का अपहरण करके जबरन उसका
धर्म परिवर्तन कराया गया और फिर जबरन एक मुस्लिम लड़के से उसका निकाह करा
दिया गया. इससे पहले मार्च में भी दो हिन्दू लड़कियों का जबरन इस्लाम कबूल
कराया गया था और मुस्लिमों से निकाह कराये जाने की घटना सामने आई थी. इस
पर संज्ञान लेते हुए भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने
पाकिस्तान दूतावास से रिपोर्ट तलब किये जाने से दुनिया के सामने
पाकिस्तान में हिन्दू लड़कियों पर होने वाले अत्याचार उजागर किया था. ये
घटनायें तो बस बानगी मात्र हैं. पाकिस्तान में आये दिन हिन्दू लड़कियों
के साथ जबरदस्ती की कितनी ही घटनायें होती हैं, लेकिन वहां का कमजोर व
अल्प संख्यक हिन्दू समाज द्वारा अन्याय व अत्याचार के खिलाफ आवाज न उठाने
से दिन व दिन वहां हिन्दुओं व उनके परिवारों पर अत्याचार बढ़ते ही जा रहे
हैं. अब समस्त हिन्दू समाज को एकजुट होकर विश्व स्तर पर पाकिस्तान के
खिलाफ आवाज उठाने का समय आ गया है.
पाकिस्तान में जब एक सिख लड़की मुसलमानों के अत्याचार की शिकार हुए तो
दुनिया का सिख समुदाय एकजुट हुआ और वे पाकिस्तान पर दबाब बनाने में सफल
रहे. पाकिस्तान पुलिस को इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए आठ
लोगों को गिरफ़्तार पड़ा. भारत ने भी इस मामले में पाकिस्तान से करने की
मांग की थी. इसक परिणाम ये हुआ कि पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री ने
मामले की तुरंत जांच के आदेश दिए थे.
मार्च में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में दो नाबालिग हिन्दू बहनों का
अपहरण कर जबरन उन्हें इस्लाम स्वीकार करवाने और फिर उनकी शादी कराने का
मामला सामने आया था तो इसे लेकर वहां अल्पसंख्यक समुदाय ने विरोध
प्रदर्शन किया था तब तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सिंध प्रांत
में होली की पूर्व संध्या पर दो हिंदू किशोरियों का अपहरण कर जबरन उन्हें
इस्लाम स्वीकार करवाने की खबरों को लेकर पाकिस्तान में भारतीय उच्चायुक्त
से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी थी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार यह घटना सिंध
प्रांत के घोटकी जिले के धारकी कस्बे में हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि
इलाके में हिंदू समुदाय ने विरोध प्रदर्शन किए और कथित अपराध को अंजाम
देने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. भारत पाकिस्तान में
अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू समुदाय की दुर्दशा का मामला उठाता रहा है.
दरअसल इस वर्ष मार्च में पाकिस्तान के सिंध प्रांत में होली की पूर्व
संध्या पर 13 वर्षीय रवीना और 15 वर्षीय रीना का स्थानीय मुस्लिमों के
एक समूह ने घोटी जिले स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया था. अपहरण के बाद
ही एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मौलवी दोनों लड़कियों का निकाह कराते दिख
रहे हैं. इसके बाद एक और वीडियो सामने आया जिसमें लड़कियां इस्लाम अपनाने
का दावा करते हुए कह रही है कि उनके साथ किसी ने जबरदस्ती नहीं की है.
पाकिस्तान में हिन्दू समुदाय ने घटना के खिलाफ व्यापक स्तर पर प्रदर्शन
कर मामले में दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की थी . उन्होंने
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को देश के अल्पसंख्यकों से किए गए
वादे की याद दिलाई. पाकिस्तान हिंदू सेवा वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष
संजय धनजा ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मामले का संज्ञान
लेने और पाकिस्तान में सभी
अल्पसंख्यक वास्तव में सुरक्षित साबित करने की मांग की थी.
उधर पाकिस्तान के राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी ने सिंध सरकार को निर्देश
दिए हैं कि वह प्रांत में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का जबरन धर्मांतरण
को रोकने के लिए कानून का मसौदा तैयार करे, ताकि संविधान में संशोधन किया
जा सके।
कराची में आयोजित एक बैठक में जरदारी ने सिंध के मुख्यमंत्री काइम अली
शाह को निर्देश दिया कि वह प्रांत के कानून मंत्री एयाज सूमरो के नेतृत्व
में एक समिति गठित करें, जो संविधान संशोधन के लिए इस कानून का मसौदा
तैयार करेगी.राष्ट्रपति की बहन और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सांसद
फरयाल ताल्पुर, और मुख्यमंत्री शाह की ओर से हिन्दुओं की समस्याएं बताई
जाने के बाद राष्ट्रपति ने यह फैसला लिया गया.
पाकिस्तान ने अल्पसंख्यक लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन, अपहरण और वसूली
के कारण हिन्दू समुदाय के लोगों के बड़ी संख्या में पलायन की खबरें आने
के बाद राष्ट्रपति ने संघीय मंत्री मौला बक्स चांडिओ की अध्यक्षता में
तीन सांसदों की एक समिति बनाई है। यह समिति सिंध में हिन्दू समुदाय के
लोगों से मुलाकात करके उनकी मसलों की जानकारी लेगी.
सिंध मंत्रिमंडल के एक सदस्य ने हालिया प्रगति के बारे में कहा था कि
अगर धर्म परिवर्तन का ऐसा कोई भी मामला सामने आता है, जिसमें लड़की और
उसके माता-पिता की सहमति न ली गई हो, तो (पुलिस थाने के प्रमुख) इसमें
शामिल लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया जायेगा.
पीपीपी के अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले दो विधायक सलीम खुर्शीद खोखर और
पीतानबेर सेवानी सिंध विधानसभा में जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ एक
प्रस्ताव लाए थे, तब पीपीपी के ही वरिष्ठ सांसदों ने इसका विरोध किया
था. इन सांसदों का कहना था कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को पहले ही
संविधान के अनुच्छेद 20 के तहत सुरक्षा प्राप्त है। उन्होंने कहा था कि
किसी नए कानून की कोई जरूरत नहीं है.
हालाँकि पाकिस्तान में इसके बावजूद हिन्दुओं के साथ अत्याचार की घटनाओं
में कोई कमी नहीं आ सकी है और वहां हिन्दू लड़कियों को जबरन इस्लाम कबूल
करा कर उनकी शादी मुस्लिम युवकों से कराने का सिलसला जारी है. भारत समेत
सभी हिन्दुओं को इसके खिलाफ कठोर आवाज उठानी ही होगी. तभी जबरन
धर्मान्तरण की घटनाओं पर अंकुश लगने की उम्मीद की जा सकती है .
उधर पाकिस्तानी संसद ने हिन्दू विवाह विधेयक-2017 को पारित करके हिन्दू
हितैषी होने का दावा किया. यह हिन्दू समुदाय का पहला विस्तारित पर्सनल लॉ
है. पाकिस्तान की नेशनल असेम्बली इस विधेयक को पहले ही मंजूरी दे चुकी
है और कानून का रूप लेने के लिए इसे केवल राष्ट्रपति के दस्तखत की दरकार
है जोकि मात्र एक औपचारिकता है.
पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दू इस विधेयक को व्यापक तौर पर स्वीकार करते
हैं क्योंकि यह शादी, शादी के पंजीकरण, अलग होने और पुनर्विवाह से
संबंधित है. इसमें लड़के और लड़की दोनों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 18
साल तय की गई है. इस विधेयक की मदद से हिन्दू महिलाएं अब अपने विवाह का
दस्तावेजी सबूत हासिल कर सकेंगी.
यह पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए पहला पर्सनल लॉ होगा जो पंजाब, बलूचिस्तान
और खबर पख्तूनख्वा प्रांतों में लागू होगा. सिंध प्रांत पहले ही अपना
हिन्दू विवाह विधेयक तैयार कर चुका है. विधेयक को सीनेट में कानून मंत्री
ज़ाहिद हमीद ने पेश किया जिसका किसी ने विरोध नहीं किया. यह इसलिए हुआ
क्योंकि, प्रासंगिक स्थाई समितियों में सभी सियासी पार्टियों के सांसदों
ने हमदर्दी वाला नजरिया जाहिर किया था.
‘सीनेट फंक्शनल कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स’ ने दो जनवरी को जर्बदस्त बहुमत
के साथ विधेयक को मंजूरी दी थी. हालांकि कुछ संगठनों ने इस विधेयक का
विरोध किया है. उन्होंने इस इस्लाम के सिद्धांतों के खिलाफ बताया है
.जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम-फज़ल के सीनेटर मुफ्ती अब्दुल सत्तार ने कहा कि
ऐसी जरूरतों को पूरा करने के लिए देश का संविधान पर्याप्त है. विधेयक को
मंजूर करते हुए समिति की अध्यक्ष एवं मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट की सीनेटर
नसरीन जलील ने कहा था कि यह अनुचित है कि हम पाकिस्तान के हिन्दुओं के
लिए एक पर्सनल लॉ नहीं बना पाए हैं. यह न सिर्फ इस्लाम के सिद्धांतों के
खिलाफ है, बल्कि मानावाधिकारों का भी उल्लंघन है.
सत्ताधारी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज के हिंदू सांसद रमेश कुमार वंकवानी
देश में हिन्दू विवाह कानून के लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे थे.
उन्होंने सांसदों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि ऐसे कानून जबरन
धर्मांतरण को हतोत्साहित करेंगे. वंकवानी ने यह भी कहा कि हिन्दू
विवाहिता के लिए यह साबित करना मुश्किल होता है कि वह शादीशुदा हैं, जो
जबरन धर्मांतरण कराने में शामिल बदमाशों के लिए एक अहम औजार है.
इस कानून से ‘शादी परठ’ नामक दस्तावेज का मार्ग प्रशस्त होगा. यह
दस्तावेज ‘निकाहनामा’ की तरह होगा जिस पर पंडित दस्तखत करेगा और यह
प्रासंगिक सरकारी विभाग में पंजीकृत होगा. इससे भी कुछ हद हक हिन्दू
हितों को सुरक्षित रखने में मदद मिल सकती है.