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100 बात की एक बात 4 जनवरी

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वैभव कृष्ण आप समझते क्या हो                अपने आप को?

मुझे कहने में कोई संकोच नहीँ है की मैंने अपने जीवन में वैभव कृष्ण के अलावा केवल एक पुलिस अधिकारी और देखा था जो असहाय और पीड़ित लोगो के लिये सिस्टम से लड़ने का हौसला रखता था।उस अधिकारी का नाम है आई पी एस नवनीत सिकेरा।मुझे नहीँ पता की अब वो कहाँ है? नवनीत जी के बाद प्रदेश को दूसरे काबिल आईपीएस वैभव मिले जिनके हाथ मे आगे चल कर प्रदेश की कमान दी जा सकती थी।वैभव जी इस सिस्टम में रहकर आप भ्रस्टाचार से लड़ेंगे और बिना किसी आरोप के अपनी नौकरी भी पूरी कर लेंगे? क्या आपने भ्रस्टाचारियो को इतना कमजोर समझ रखा है? इतने समझदार होकर भी आप यह नही समझ पाए की इस देश में भ्रस्टाचार के विरुद्ध लड़ाई केवल सांकेतिक होती है जिसमे छोटे मोटे लोगो को फसाकर ही अपने आप को योद्धा सिद्ध किया जाता है।आपने तो उन अधिकारियो को भी निशाने पर ले लिया जो सरकार चलाने वालों की नाक के बाल हैं।अब झेलिये। अभी तो तीन ही वीडियो आपको बदनाम करने के लिये पेश की गयी हैं।अभी तो और भी बहुत कुछ हो सकता है।आप पत्रकार नुमा दलालों के पूरे सिंडिकेट को तबाह करने पर आ गए।आपने किसी भी नेता के रुतबे का ख्याल नहीँ रखा और आप चाहते हैं की अब वो आपको ऐसे ही छोड़ दें। नहीँ वैभव कृष्ण जी नहीँ।ये इतना आसान भी नही है। सच बोलने की कीमत आप को चुकानी पड़ेगी।अब आपको लंबे संघर्ष के लिये तैयार रहना है और यह संघर्ष आपके लिये आसान भी नही होगा।मुझे नहीँ पता है की आपके मामले में ऊंट किस करवट बैठेगा परन्तु एक पत्रकार होने के नाते मैं जानता हूँ की आप पर जो कीचड़ उछाला जा रहा है,वह एक झूठा षड्यंत्र के अलावा कुछ भी नहीँ है।अगरआप इस चक्रव्यूह से नहीं निकल सके तो मुझे उतना ही दुःख होगा जितना वीर अभिमन्यु की हत्या पर पांडव पक्ष के सैनिक को हुआ था।इसीलिये मैं भगवान से प्रार्थना कर रहा हूँ की इस बार हत्या वीर अभिमन्यु की न हो,बल्कि दुष्ट कौरवों की हो।जैसे प्रभु की इच्छा।

 

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