खाते यहाँ की हो,बजाते वहाँ की हो
नागरिकता संशोधन बिल के विरोध में उत्तर प्रदेश में हुए विरोध प्रदर्शन में नया मोड़ आ गया है। मेरठ के एसपी सिटी अखिलेश नारायण सिंह का वह वीडियो सुर्खियों में बना हुआ था, जिसमें उन्होंने दंगाइयों से कहा था कि जिस पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाते हो, तो वहीं चले जाओ वरना एक-एक को ठीक कर दूंगा। इस मे उन्होंने ठीक ही तो कहा था। इसमें गलत क्या हुआ,जो लोग दंगा कर रहे हैं आगजनी कर रहे हैं और साथ में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे हैं यदि उन पर कोई कार्यवाही कर दी जाए या उनसे कह दिया जाए कि आप दंगा मत करो जहां जाना है वहां जाओ तो इसमें गलत क्या है ?मगर देश के तथाकथित बुद्धिजीवियों को और भांड मीडिया को दंगाइयों का उपद्रव छोटा लगा,आगजनी छोटी लगी,पत्थरबाजी छोटी लगी, खुलेआम पुलिस पर गोली चलाने की बात छोटी लगी और यदि किसी पुलिस अफसर ने इस पर कड़ी कार्यवाही करने का साहस किया तो वह संविधान के खिलाफ हो गया और कई राजनीतिक दलों के राष्ट्रीय नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करके मेरठ एसपी की कड़ी आलोचना ही नहीं की थी बल्कि उन्हें बर्खास्त करने तक की मांग कर डाली थी।इसका मतलब जो दंगाई कर रहे थे वो संविधान के अनुरूप था? खैर छोड़ो लेकिन जब एक नया वीडियो सामने आया है। इस वीडियो मेंं यह दिखाया गया है कि 20 दिसम्बर को प्रदर्शन के दौरान दंगाई रंगरूटों को जिंदा जलाना चाहते थे। पुलिस ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें साफ दिख रहा है कि एक दुकान में बंद पीएसी के रंगरूटों और आरएएफ के दो जवानों को उपद्रवी जिंदा जलाना चाहते थे। वीडियो में स्पष्ट दिखाया गया है कि उपद्रवी हापुड़ रोड पर 30 रंगरूट और एक एसडीएम को बंधक बनाकर आग लगाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी वीडियो में स्पष्ट दिख रहा है कि उपद्रवी पुलिस फोर्स को अपना निशाना बना रहे हैं।इसके अलावा दो अन्य वीडियो भी जारी किये गये हैं जिसमें उपद्रवीयो की करतूत सामने स्प्ष्ट है। लेकिन इन वीडियो को देखकर सबके मुंह में दही जम गई है।अब कोई कथित बुद्धिजीवी कोई नेता इस पर अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है।इससे यह स्पष्ट है की हमारे देश की मीडिया कथित बुद्धिजीवी और तुच्छ नेता देश को इस्लामीकरण की ओर ले जाना चाहते हैं।