काशी के बाद अब मंगलुरु में मस्जिद के नीचे मिला हिन्दू मंदिर! हिन्दुओं ने किया पूजा-पाठ: ASI सर्वे की माँग, धारा-144 लागू
भाजपा के विधायक भरत शेट्टी ने घटना स्थल की ASI से सर्वे कराने की माँग की है। वो इसे सामाजिक मुद्दा बता चुके हैं। इस मामले को लेकर बीजेपी विधायक ने ट्वीट किया, “ये कोई ध्रुवीकरण की कोशिश नहीं, बल्कि इतिहास को फिर से जानने की कोशिश है।”
सूर्या बुलेटिन : वाराणसी में ज्ञानवापी विवादित स्थल के बाद अब कर्नाटक (Karnataka) के मंगलुरु जिले के बाहरी इलाके में स्थित एक पुरानी मस्जिद के नीचे से मंदिर जैसे संरचना मिली है। इसके बाद बुधवार (25 मई, 2022) को विश्व हिन्दू परिषद (VHP) और बजरंग दल (Bajrang Dal) के कार्यकर्ताओं ने गंजिमुत में श्री रामंजनेय भजन मंदिरा थेनकुलीपदी में पूजा यानि ‘तंबुला प्रश्ने’ अनुष्ठान किया।
VHP कार्यकर्ताओं ने ये पूजा मस्जिद के जीर्णोद्धार के दौरान मिले मंदिर जैसे ढाँचे पर हो रहे विवाद के समाधान के लिए किया है।
मौके पर ज्योतिष के अनुसार हिंदू संगठनों ने देवत्व स्थापित करने की ‘रस्म’ निभाई। इसके जरिए ये पता लगाया जाता है कि स्थान विशेष में दैवीय शक्तियाँ हैं या नहीं। अगर ‘तंबुला प्रश्ने’ का पॉजिटिव रिजल्ट आता है तो इसके बाद ‘अष्टमंगला प्रश्ने’ अनुष्ठान किया जाता है। बताया जाता है कि विश्व हिन्दू परिषद ने इस अनुष्ठान की भी योजना बनाई है।
थेनकुलीपाडी में सुबह 8:30 बजे से 11 बजे तक VHP ने ये अनुष्ठान किए, जिसके बाद किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए पुलिस कमिश्नर ने गाँव के मलाली में जुम्मा मस्जिद के 500 मीटर के दायरे में धारा 144 को लागू कर दिया है। इसके साथ ही शाँति व्यवस्था को बनाए रखने के लिए इलाके में भारी संख्या में पुलिस बलों को भी तैनात किया गया है।
मंगलुरू के पुलिस कमिश्नर NS कुमार ने कहा, “हालात शांतिपूर्ण हैं। आज हिन्दू संगठनों ने एक अनुष्ठान किया है, जो कि 8.30 बजे से 11 बजे तक चला। जिन जगहों पर आवश्यकता थी, वहाँ पर फोर्सेज को डिप्लॉय किया गया है। ग्रामीणों ने यह भी फैसला किया है कि कोई अप्रिय घटना नहीं होगी और दोनों पक्ष अदालत में लड़ने के लिए सहमत हो गए हैं।”
बीजेपी ने की ASI सर्वे की माँग
इस बीच भाजपा के विधायक भरत शेट्टी ने घटना स्थल की ASI से सर्वे कराने कि मांग की है। वो इसे सामाजिक मुद्दा बता चुके हैं। इस मामले को लेकर बीजेपी विधायक ने ट्वीट किया, “ये कोई ध्रुवीकरण की कोशिश नहीं, बल्कि इतिहास को फिर से जानने की कोशिश है। हम कोई भी दावा नहीं करते हैं, लेकिन सच को फिर प्राप्त करने की उम्मीद करते हैं। सक्षम प्राधिकारी को सर्वे करने दीजिए। दुनिया को सच्चाई से अवगत कराया जा सके।”
इससे पहले 21 मई को मिले इस ढाँचे के सामने आने के बाद उन्होंने कहा था कि सच जानने के योग्य है, इसे दबाया या विकृत नहीं किया जा सकता है। न ही इससे वर्शिप एक्ट 1991 का उल्लंघन भी नहीं होता। गौरतलब है कि मस्जिद के नीचे से मंदिर जैसा ढाँचा मिलने के बाद लोगों में उत्सुकता बढ़ गई है। वहीं अब कोर्ट मस्जिद के जीर्णोद्धार पर रोक लगा चुका है।