गाज़ियाबाद

हम हिंदू क्यों अडिग नहीं है अपने धर्म पे

सूर्या बुलेटिन (गाज़ियाबाद): देश पूरी तरह तबाह हो गया तब भी वहां के मुस्लिमो ने अपना धर्म नहीं छोड़ा… कुर्द लोग इस्लामिक तुर्की के खिलाफ लड़ रहे हैं लेकिन उसके विरोध में इस्लाम की निंदा या इस्लाम नहीं छोड़ रहे हैं….

ऐसे धर्म के लिए प्रतिबद्ध लोगो की वापसी का सपना राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देख रहा है जो अपने नबी के सम्मान में अपने माता-पिता को भी नहीं देखते मुस्लिमों के जीवन में हर कोई प्रेमिका हो या माता-पिता नबी के बाद ही है इस कारण नबी की शान में गुस्ताखी होते ही आग बबूला हो जाते हैं…..

हिंदू लोग तो धर्म के मामले में इतने कमजोर हैं भाजपा का विरोध या भाजपा कोई काम नहीं करती तो हिंदू धर्म छोड़ने की धमकी देते हैं और कई लोग तो हिंदू धर्म छोड़ देते हैं…. हिंदू धर्म से नफरत इस कदर हो जाती है लोगों को कि हिंदू की पहचान से अलग पहचान जय जाट sarna कोड लिंगायत की मांग उठने लगती है….

वही मुस्लिमों को अपनी मुस्लिम पहचानते सिवा कोई दूसरी पहचान स्वीकार ही नहीं है….

हिंदुओं जैसा हिसाब किताब रहता तो बलूचिस्तान के सभी लोगों को इस्लाम छोड़ देना चाहिए था क्योंकि वह इस्लामिक पाकिस्तान से लड़ रहे हैं….

और इसी तरह यमन के लोगों को भी…. लेकिन नहीं धर्म के प्रति प्रतिबद्धता काबिले तारीफ है….

लोग कह रहे हैं कि आज ऐसी हालत नहीं है अगर भारत की या किसी राज्य की सीरिया जैसी हालत होती तो फिर अभी तक आधे से अधिक क्रिश्चियन कन्वर्ट हो चुके होते….

यूरोप में जाने पर भी अपनी धार्मिक पहचान पूरी मजबूती से रखते हैं उस पर उंगली स्वीकार नहीं….

कम संख्या होने पर कानून तो ठोसे जा सकते हैं लेकिन संख्या ठीक-ठाक होने पर मजबूती से बुर्का टोपी पहनने की वकालत करते हैं और नमाज पढ़ने की….

वही हिंदू महिलाओं को अगर साड़ी पहनने पर रोक हो या बिंदी बनने पर तो कोई दिक्कत नहीं वह स्वीकार कर लेते हैं हिंदू लोग अधिकतर स्थितियों में ढिम्मी के रूप में रहते हैं….

अभी यूएई में पहला मंदिर बन रहा है इससे पहले बिना मंदिर के रहने पर भी कोई दिक्कत नहीं….

जबकि मुस्लिम अपनी पहचान को लेकर आक्रामक रहते हैं….         

ऐसे आक्रामक धर्म के प्रति प्रतिबद्ध लोगों से हिंदुओं तुम्हारा मुकाबला है….

उनकी महिलाएं सर्वोच्च पद पर पहुंच कर भी खुलेआम बुर्का हिजाब पहनने की वकालत करती हैं…..

हिंदू महिलाओं की हिम्मत नहीं कि खुलेआम साड़ी बिंदी पहनने की वकालत करें….

इसी कारण पूरे विश्व पर उनका परचम लहरा रहा है क्योंकि वह धर्म के प्रतीकों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है….

सड़क पर नमाज पढ़ना या शुक्रवार को नमाज के लिए इकट्ठा होना उनका एक तरह का शक्ति प्रदर्शन है वह राजनीतिक पार्टियों को दिखाते हैं हमारी ताकत जमीनी स्तर पर कितने हैं….

वहीं हिंदुओं के लिए इकट्ठा होने और ताकत दिखाने का कोई मंच नहीं है अधिक से अधिक ट्विटर पर ट्रेंड करा देते हैं बस सब शांत।

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