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जुनैदपुर ग्राम में वीर अहीर स्मृति बोर्ड हटाए जाने पर यादव समाज में आक्रोश, प्रशासन पर लगाया पक्षपात का आरोप

जनपद बुलंदशहर – जनपद बुलंदशहर के थाना सिकंदराबाद अंतर्गत ग्राम जुनैदपुर में हाल ही में अहीर रेजीमेंट के स्मृति बोर्ड को जबरन हटाए जाने की घटना ने क्षेत्र में गहरा तनाव उत्पन्न कर दिया है। बताया जा रहा है कि यह बोर्ड अहीर रेजीमेंट के उन 120 वीर सैनिकों की स्मृति में लगाया गया था, जिन्होंने 1962 के भारत-चीन युद्ध में रेजांग ला की ऐतिहासिक लड़ाई में अपने अद्वितीय शौर्य का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त की थी।

स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, यह बोर्ड गांव के यादव समाज द्वारा देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर लगाया गया था। किन्तु कुछ ही समय बाद थाना सिकंदराबाद की पुलिस तथा चौकी बिलसुरी के प्रभारी द्वारा इसे बलपूर्वक हटवा दिया गया। यादव समाज ने इस कार्रवाई को लेकर गहरा विरोध जताया है तथा इसे पुलिस प्रशासन द्वारा एकपक्षीय और बदले की भावना से प्रेरित बताया है।

जातीय तनाव और वीडियो वायरल

ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम के जाटव समाज के कुछ लोगों ने बोर्ड लगाए जाने का विरोध किया था, और अब एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें जाटव समाज के लोग कथित रूप से एससी/एसटी एक्ट में यादव समाज के लोगों को फंसाने की धमकी देते नजर आ रहे हैं। वहीं, एक अन्य वायरल वीडियो में पुलिसकर्मी उन्हीं जाटव समाज के लोगों के साथ चाय पर हास-परिहास करते देखे गए हैं, जिससे पुलिस की निष्पक्षता पर प्रश्न उठ रहे हैं।

ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सीओ पूर्णिमा सिंह तथा चौकी प्रभारी आनंद कुमार ने जाटव समाज का खुलकर पक्ष लेते हुए यादव समाज को यह प्रस्ताव दिया कि यदि वे बोर्ड को नीले रंग में रंगवाकर ‘जय भीम’ लिखवाते हैं, तो उसे लगाया जा सकता है। इस प्रस्ताव को यादव समाज ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद जब यादव समाज ने पंचायत के माध्यम से समाधान निकालने की कोशिश की, तो पुलिस ने दमनचक्र शुरू कर दिया। यादव समाज के युवकों पर एससी/एसटी एक्ट सहित कई अन्य धाराओं में मुकदमे दर्ज किए गए और 12 लोगों को शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में भी ले लिया गया।

पुलिसिया दमन के आरोप

ग्रामीणों का यह भी कहना है कि चौकी प्रभारी आनंद कुमार अब जुनैदपुर और आसपास के लालपुर गांव के युवकों को बिना किसी वारंट या कारण के जब चाहे उठा लेते हैं, थाने ले जाकर मारपीट करते हैं और उन्हें झूठे मुकदमों में फंसाकर आजीवन जेल भेजने की धमकियाँ भी देते हैं। इससे क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल व्याप्त है।

पूर्व मंत्री डी.पी. यादव से मिला प्रतिनिधिमंडल

घटना को लेकर यादव समाज का एक प्रतिनिधिमंडल आज पूर्व मंत्री श्री डी.पी. यादव से उनके आवास पर मिला और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर असंतोष जताते हुए उनसे न्याय की मांग की। श्री यादव ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे हरसंभव सहायता करेंगे और कहा, “यादव और जाटव समाज के बीच कोई आपसी विवाद नहीं है, यह स्थिति प्रशासन की हठधर्मिता और भ्रामक रवैये के कारण उत्पन्न हुई है। इसे दोनों समाज मिलकर आपसी सहयोग से सुलझाएँगे।”

अब उठते हैं दो महत्वपूर्ण प्रश्न:

  1. क्या जिन वीर बलिदानियों ने इस देश की रक्षा हेतु अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दिया, उनकी स्मृति में कोई बोर्ड लगाना आज के भारत में अपराध बन गया है?
  2. क्या इस समूचे प्रकरण में पुलिस की कार्रवाई एकपक्षीय, अपरिपक्व और बदले की भावना से प्रेरित थी जिसने क्षेत्र में दो हिन्दू समाजों के मध्य जातिगत वैमनस्य को बढ़ाने का कार्य किया, जैसा कि ग्रामीणों ने आरोप लगाया है?

इस घटना ने न केवल शहीदों के सम्मान पर प्रश्न खड़े किए हैं, बल्कि प्रशासन की निष्पक्षता और संवेदनशीलता पर भी गंभीर चिंतन की आवश्यकता दर्शाई है। अब देखना यह है कि शासन-प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है और क्या न्याय की उम्मीदों पर खरा उतरता है या नहीं।

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