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जिले में 127 प्रतिशत टीकाकरण फिर भी हजारों बच्चे वंचित

अधिकारी बताते हैं माइग्रेशन को कारण
विभागीय डेटा और यू-विन डेटा में भारी अंतर
जनसंख्या दोगुना हुई लेकिन कागजों में बच्चों की संख्या महज 13 हजार ही बढ़ी
सूर्या बुलेटिन
गाजियाबाद।
बच्चों को विभिन्न गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए केंद्र सरकार की योजना के तहत रूटीन इम्यूनाइजेशन किया जाता है। साल में एक से दो बार विशेष अभियान चलाकर भी बच्चों का टीकाकरण किया जाता है। वैक्सीनेशन बच्चों का गलघोंटू, काली खांसी, टिटनेस, हेपेटाइटिस, मीजल्स, रूबेला और पीसीबी (फेफड़े के संक्रमण) से बचाव करता है। कोरोना काल के पहले तक जिले में रूटीन इम्यूनाइजेशन का डेटा 70 से 90 प्रतिशत होता था, लेकिन कोरोना काल के बाद यह प्रतिशत बढ़कर 127 तक पहुंच गया है। इसके बावजूद समय समय पर चलने वाले अभियान के दौरान हजारों बच्चे इम्यूनाइजेशन से छुटे मिलते हैं। पिछले दिनों ही लाल कुआं क्षेत्र के आसपास की कॉलोनियों में बच्चों में खसरा फैल गया था और सैकड़ों बच्चे टीकाकरण से वंचित पाए गए थे।
जिले में 2011 की जनगणना के अनुसार बच्चों की संख्या निर्धारित है, जिसमें कई साल में एक बार बढ़ोतरी की जाती है। जबकि सरकारी आंकड़ों में बच्चों की संख्या उतनी ही मानी जाती है, जितनी जनगणना के दौरान थी। जबकि 2011 के बाद 2024 में जिले की जनसंख्या डेढ़ से दो गुना हो चुकी है और उसके अनुपात में बच्चों की संख्या भी बढ़ी है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 0 से एक साल के बच्चों के टीकाकऱण करण के लिए 82 हजार का लक्ष्य था जो अब बढ़ कर 95 हजार हो गया है। जबकि वास्तव में बच्चों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है। ऐसा ही कुछ पोलियो अभियान के दौरान भी चलता है, हालांकि पोलियो भारत से खत्म हो चुका है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में 0 से 5 साल तक के बच्चों की संख्या अभी भी लगभग 7.5 लाख ही चल रही है। ऐसे में सरकारी आंकड़ों के आधार पर ही रिपोर्ट तैयार की जा रही हैं और टीकाकरण लक्ष्य का 127 प्रतिशत या कई तो उससे भी ज्यादा हो रहा है। 127 प्रतिशत टीकाकरण के बावजूद जिले में टीकाकरण से वंचित हजारों बच्चे मिलने के मामले में अधिकारी कहते हैं कि गाजियाबाद में माइग्रेटेड पॉपुलेशन ज्यादा है। जिन बच्चों का टीकाकरण हुआ, उनके परिवार कामकाज की तलाश में यहां से पलायन कर गए और कुछ और लोग यहां आ गए। इस लिहाज से जिले में टीकाकरण का लक्ष्य 100 प्रतिशत से भी ज्यादा रहता है और फिर भी टीकाकरण से वंचित बच्चे मिलते हैं। डिस्ट्रिक्ट इम्यूनाइजेशन ऑफिसर डॉ. नीरज अग्रवाल बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों में जिले में टीकाकरण की स्थिति में सुधार आया है और इसमें और सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
यू-विन से होगा समाधान
केवल गाजियाबाद में ही ऐसी स्थिति नहीं है बल्कि प्रदेश के अन्य जिलों में भी टीकाकऱण की स्थिति लगभग ऐसी ही है। प्रदेश के अधिकांश जिलों में बच्चों का टीकाकरण का आंकड़ा 100 प्रतिशत से भी ज्यादा है और गौतमबुद्ध नगर तो बच्चे के टीकाकरण के मामले में गाजियाबाद से भी आगे रहता है। जानकार कहते हैं कि बच्चों की संख्या और टीकाकरण का सही डेटा ही सामने नहीं आ रहा है, जिसके कारण यह असमानता है। अब टीकाकरण से लिए सरकार की ओर से यू-विन पोर्टल को एक्टिव किया गया है। जिले में इसका ट्रायल चल रहा है, जल्द ही ट्रायल पूरा होने पर इसे पूरी तरह से लगाू कर दिया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों और यू-विन पोर्टल के आंकड़ों में भारी अंतर है। कोरोना का डेटा अपलोड करने के लिए सरकार की ओर से कोविन पोर्टल बनाया गया था, उसी पोर्टल को अब कुछ अपग्रेडेशन के बाद यू-विन पोर्टल में तब्दील कर दिया गया है। यू-विन पोर्टल पर टीकाकरण का डेटा अपलोड किया जाएगा। यू-विन पोर्टल एक्टिव होने के बाद टीकाकरण की सही स्थिति सामने आ सकेगी।
चल रही ट्रेनिंग और ट्रायल
यू-विन पोर्टल पर टीकाकरण का डेटा अपलोड करने के लिए आशा और एएनएम के साथ स्वास्थ्य विभाग के अन्य स्टाफ की भी ट्रेनिंग चल रही है। इसके साध ही इसका ट्रायल भी चल रहा है। सूत्र बताते हैं कि जिन इलाकों में यू-विन का ट्रायल किया गया, उनके डेटा में बड़ा अंतर सामने आया। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी परेशान है। इसे लेकर लगातार मीटिंग चल रही हैं और विभागीय डेटा और यू-विन के डेटा में अंतर को समझने का प्रयास किया जा रहा है।
पिछले तीन साल के आंकड़े
2021 117 प्रतिशत
2022 122 प्रतिशत
2023 127 प्रतिशत

वर्ष 2011 में जिले की लगभग जनसंख्या 27 लाख
वर्ष 2024 में जिले की जनसंख्या लगभग 50 लाख

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