उत्तर प्रदेशगाज़ियाबादनई दिल्लीमहानगरस्वास्थ्य

जिले में महिलाएं भी हैं नशे की आदि

लत छुड़वाने के लिए नशा मुक्ति केंद्र में हैं भर्ती
स्वास्थ्य विभाग की जांच में हुआ खुलासा
सूर्या बुलेटिन
गाजियाबाद।
नशे में कौन नहीं है जरा बताओ मुझे…। माना जाता है कि पुरुष वर्ग ही ज्यादा नशा करता है। पुरुषों में नशे की लत इतनी ज्यादा होती है कि उन्हें नशा मुक्ति केंद्र या रिहैबिलिटेशन सेंटरों में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ती है। हालांकि महिलाएं भी इस मामले में ज्यादा पीछे नहीं हैं। कई बड़े शहरों में महिलाओं के लिए अलग से नशा मुक्ति केंद्र चल रहे हैं। अब उन शहरों की सूची में अपना जिला गाजियाबाद भी शुमार हो गया है। अपने जिले में महिलाओं के लिए अलग से नशा मुक्ति केंद्र खुला है। नशा मुक्ति केंद्र केवल खुला नहीं है बल्कि उसमें नशे की आदि 15 महिलाएं भी भर्ती हैं। इन महिलाओं को शराब के अलावा अन्य सूखा नशा करने की लत है। इनकी इस लत को छुड़वाने के लिए परिजनों ने उन्हें नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती किया है।
इस बात का खुलासा पिछले दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाए गए अभियान के दौरान हुआ। स्वास्थ्य विभाग की ओर से नशा मुक्ति केंद्रों की जांच की जा रही थी। तभी विभाग को एक ऐसा नशा मुक्ति केंद्र भी मिला, जो केवल महिलाओं के लिए है। केंद्र में नशे की लत की आदि महिलाएं भर्ती भी हैं। कई महिलाएं तो संपन्न परिवारों से भी हैं। विभागीय अधिकारी बताते हैं कि नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती महिलाओं में अधिकांश ड्रग्स का नशा करने वाली महिलाएं हैं। इनकी आयु 25 से 45 वर्ष के बीच है। परिजन भी इनकी इस लत से बेहद परेशान है। 15 महिलाओं में पांच महिलाएं ऐसी भी हैं, जो शराब की आदि हैं और शराब के बिना रह नहीं सकतीं। शराब की लत पूरी करने के लिए ये महिलाएं चोरी करने से भी पीछे नहीं हटतीं। इसके अलावा कुछ महिलाएं चरस, गांजा और अफीम का नशा भी करती हैं। जांच के दौरान पता चला कि नशे की आदि महिलाओं के परिजनों ने उनकी इस लत को छुड़वाने के लिए कई तरह से जतन किए। डॉक्टरों से उपचार करवाने के अलावा मनोरोग चिकित्सक तक को दिखाया, लेकिन कई लाभ नहीं हुआ। जिसके बाद उन्हें अपने ही शहर में खुले नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती करवा दिया गया। दूसरे शहरों में भी महिलाओं के लिए नशा मुक्ति केंद्र उन्होंने खोजे, लेकिन दूर होने और सुरक्षा कारणों के चलते वहां महिला मरीज को भर्ती करने से परिजन हिचकिचा रहे थे। जब उन्हें अपने ही शहर में महिलाओं का नशा मुक्ति केंद्र का पता चला तो मरीज को तुरंत वहां भर्ती कर दिया। अधिकारियों के अनुसार महिला नशा मुक्ति केंद्र में मानकों के अनुसार व्यवस्था नहीं है, जिसके कारण नोटिस जारी किया गया है, लेकिन मरीजों को बाहर नहीं निकाला जा सकता।
नशे की लत छुड़ाना कठिन
नशा मुक्ति केंद्रों के नोडल अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि नशे की लत छुड़ाना बेहद कठिन है। इस प्रक्रिया में कई बार तो मरीजों की हालत बहुत ज्यादा खराब हो जाती है। मरीजों को लगातार डॉक्टर की निगरानी और दवाओं की जरूरत होती है। इसके साथ ही नशा मुक्ति केंद्र में मरीजों को अच्छा माहौल भी मिलना चाहिए। जब महिलाओं के लिए बने नशा मुक्ति केंद्र की बात हो तो उसमें सुरक्षा का बिंदु भी जुड़ जाता है। विभाग की ओर से महिला नशा मुक्ति केंद्र की सख्ती से निगरानी की जा रही है और संचालकों को सख्त हिदायत भी दी गई है। महिला नशा मुक्ति केंद्र में मानकों के अनुसार व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि महिला नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती अधिकांश महिलाएं सूखा नशा करने की आदि हैं। सूखा नशा में अफीम, चरस, गांजा, ड्रग और फ्लूड शामिल है। फ्लूड को सूंघ कर नशा किया जाता है। यह नशा सामान्य तौर पर कूड़ा बीनने वाले बच्चे करते हैं।
10 नशा मुक्ति केंद्रों पर मुकदमा
नशा मुक्ति केंद्रों को शासन से लाइसेंस जारी किया जाता है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की जांच में 10 केंद्र ऐसे पाए गए है, जिनके लाइसेंस की अवधि खत्म हो चुकी है और उन्होंने दोबारा आवेदन तक नहीं किया। विभाग की ओर से इन नशा मुक्ति केंद्रों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। इन केंद्रों में न्यू होप फाउंडेशन, वन चेतना नशा मुक्ति केंद्र, नव जीवन, ग्रेस फाउंडेशन, कर्तव्य पालन, सुख सागर, उन्नति फाउंडेशन, मन्नत फाउंडेशन, वैष्णवी जन कल्याण और भविष्य की नींव पर विधिक कार्रवाई की गई है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button