आउटसोर्सिंग पर रखे गए हेल्थ कर्मियों का नहीं हो सका समायोजन
स्टाफ ने ड्यूटी पर आना किया बंद, प्रभावित होगा काम
स्वास्थ्य विभाग में एलटी और डेटा ऑपरेटर की है कमी
सूर्या बुलेटिन
गाजियाबाद। कोरोना काल के दौरान आउटसोर्सिंग पर जिले में रखे गए 100 से ज्यादा कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई है। 70 से ज्यादा कर्मचारियों की सेवाएं पहले ही समाप्त की जा चुकी हैं और 9 डॉक्टर समेत 30 कर्मचारियों की सेवाएं एक अगस्त से समाप्त हो गईं। कर्मचारियों की सेवा समाप्त होने से विभाग की कई योजनाएं प्रभावित होंगी। इसके साथ ही डेटा एंट्री को लेकर भी विभागीय अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा।
कोरोना काल के दौरान 2021 की शुरुआत में स्वास्थ्य विभाग ने बड़े स्तर पर आउटसोर्सिंग पर हेल्थ कर्मियों की नियुक्ति की थी। जिले में 100 से ज्यादा कर्मचारियों को नियुक्ति दी गई थी। हालांकि 2022 के अंत तक जिले में आउटसोर्सिंग पर रखे गए 70 से ज्यादा कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई थीं। कोरोना संक्रमण का फैलाव बढ़ने की आशंका के चलते जिले में 9 डॉक्टरों समेत 30 कर्मचारियों को नियुक्ति को आगे बढ़ाया गया था। हालांकि उनकी नौकरी पर भी तलवार लटक रही थी। जिसके चलते आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से उनके समायोजन की मांग की थी। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 में शासन ने आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारियों के समायोजन का आश्वासन दिया था। हालांकि सरकार के आश्वासन के बावजूद उनमें से बहुत से कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। जिसके बाद से बचे हुए कर्मचारियों ने सरकार से वार्ता करना शुरु किया था। इसी साल प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने स्वास्थ्य विभाग में आउटसोर्सिंग के जरिए रखे गए सभी हेल्थ कर्मियों के समायोजन के निर्देश स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को जारी किए। प्रदेश सरकार ने कोरोना काल में आउटसोर्सिंग के जरिए रखे गए हेल्थ कर्मचारियों को जिला स्वास्थ्य समिति के तहत समायोजित करने के निर्देश दिए थे। जिला स्वास्थ्य समिति और सीएमओ कार्यालय की ओर से कहा गया कि शासनादेश स्पष्ट नहीं है। जिसके चलते कर्मचारियों को 27 जुलाई को नोटिस थमा दिया गया और 31 जुलाई से उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गईं।
जान जोखिम में डालकर किया था काम
आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारियों ने कोरोना काल के दौरान जान जोखिम में डालकर काम किया था। आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने कोरोना जांच से लेकर मरीजों के उपचार और उन तक दवाएं पहुंचाने, काउंसलिंग करने के साथ ही कोविड कंट्रोल रूम में भी ड्यूटी की थी। कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान अधिकांश कर्मचारी कोरोना संक्रमित भी हुए, लेकिन संक्रमण मुक्त होने के बाद फिर से कोविड कंट्रोल के लिए काम करने लगे। यूपी में कोविड कंट्रोल को लेकर हुए बेहतर कार्य को देखते हुए शासन ने भी आउटसोर्सिंग पर रखे गए सभी हेल्थ कर्मियों के समायोजन का आश्वासन दिया था।
विभिन्न विभागों और योजनाओं पर होगा असर
वर्ष 2023 में कोविड लगभग समाप्त हो गया और बचे हुए आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न विभागों और योजनाओं में संबद्ध कर दिया गया। फिलहाल आउटसोर्सिंग से नियुक्त किए गए कर्मचारी डेंगू, मलेरिया और हेपेटाइटिस की टेसिटंग काम कर रहे थे। इसके अलावा विभाग की विभिन्न विंग में डेटा ऑपरेटर के तौर पर कार्यरत थे। गाजियाबाद में आउटसोर्सिंग के जरिए 9 डॉक्टर, 7 डेटा ऑपरेटर, 6 लैब टेक्नीशियन, 3 सपोर्टिंग स्टाफ और 2 साइंटिस्ट समेत 30 कर्मचारी कार्यरत थे। इनकी सेवा समाप्त होने से विभागीय की कई योजनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
वर्जन
आउटसोर्सिंग पर रखे गए कर्मचारियों का समायोजन नहीं हो सका है। विभागीय कार्यों पर इसका प्रभाव नहीं पड़ने दिया जाएगा। इसके साथ ही शासन को विभिन्न विंग में स्टाफ बढ़ाने के लिए भी पत्र भेजा गया है।
डॉ. आरके गुप्ता, जिला सर्विलांस अधिकारी