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जिले में स्टेम सेल थैरेपी से होगा बहरेपन का उपचार

लंदन से ट्रेनिंग लेने के बाद डॉ.बीपी त्यागी ने किया आईसीएमआर में आवेदन
6 महीने के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक का भी उपचार संभव

सूर्या बुलेटिन
गाजियाबाद। अपने जिले में जल्द ही स्टेम सेल थेरेपी शुरु हो सकती है। इस थेरेपी से बहरेपन की बीमारी का उपचार किया जाएगा। लंदन के रॉयल कॉलेज ऑफ सर्जनस ऑफ इंग्लैंड से प्रशिक्षण लेने के बाद गाजियाबाद के सीनियर ईएनटी सर्जन डॉ. बीपी त्यागी ने आईसीएमआर और हेल्थ डायरेक्टर को इस थैरेपी से मरीजों की बधिरता का उपचार करने की अनुमति देने के लिए आवेदन किया है।
स्टेम सेल थैरेपी के संबंध में डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि इंग्लैंड में इस थैरेपी से पिछले 10 वर्षों से बधिरता का उपचार किया जा रहा है। वह पहले से प्लाज्मा थैरेपी के जरिए बधिरता का उपचार कर रहे हैं, लेकिन स्टेम सेल थैरेपी में उपचार का समय बहुत कम हो जाएगा। मरीज को स्टेम सेल थैरेपी से बधिरता के उपचार के लिए चार से पांच बार ट्रीटमेंट लेना होगा। जिसके बाद उनकी सुनने की क्षमता 120 डेसिबल तक पहुंच जाएगी। इस उपचार के बाद मरीज के केवल जुकाम और नजले से बचना होगा, जिससे सुनने वाली कोशिकाओं पर विपरीत प्रभाव न पड़े। डॉ. त्यागी ने बताया कि प्लाज्मा थैरेपी में मरीज को 18 से 20 इंज्क्शन लगवाने पड़ते हैं। प्लाज्मा थैरेपी में प्रति इंजेक्शन सुनने की क्षमता में 8 डेसीबल का इजाफा होता है, जबकि स्टेम सेल थैरेपी में यह दर 30 डेसीबल प्रति इंजेक्शन पाई गई है।
मरीज के शरीर से ही निकालेंगे स्टेम सेल
डॉ.बीपी त्यागी ने बताया कि स्टेम सेल थैरेपी में दो तरह से स्टेम सेल प्राप्त किए जा सकते हैं। पहला है ऑटोलोगस, जिसमें जिसमें मरीज के शरीर से ही स्टेम सेल प्राप्त किए जाते हैं और दूसरा है होमोलोगस, इसमें मरीज के माता-पिता (जिनका ब्लड ग्रुप सेम हो) से लिए जाते हैं। सामान्य तौर पर छोटे बच्चों के लिए होमोलोगस की जरूरत होती है। स्टेम सेल लेकर उन्हें मशीन के जरिए परिष्कृत किया जाता है और नए स्टेम सेल बनाए जाते हैं। जिसके बाद उसे मरीज के कान पीछे वाली नस में इंजेक्ट किया जाता है। नए स्टेम सेल नस में हुई क्षति को दूर करते हैं और सुनने की क्षमता के बेहतर करते हैं। डॉ. त्यागी ने बताया कि इस थैरेपी से 6 महीने के बच्चे से लेकर वृ्द्ध तक उपचार किया जा सकता है।
आईसीएमआर में किया आवेदन
डॉ. बीपी त्यागी ने बताया कि वह इस थैरेपी को आईसीएमआर और हेल्थ डायरेक्टर से अनुमति मिलने के बाद ही अस्पताल में शुरु कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने आवेदन कर दिया है, आशा है जल्द ही अनुमति मिल जाएगी। स्टेम सेल थैरेपी नई नहीं है, इसके जरिए दुनिया भर में लगभग 140 बीमारियों का उपचार किया जा रहा है। विभिन प्रकार के कैंसर में भी यह थैरेपी बहुत कारगर है। उन्होंने कहा कि इस थैरेपी का कोई साइड इफैक्ट भी सामने नहीं आया है। स्टेम सेल थैरेपी 94 प्रतिशत तक सफल है। उन्होंने बताया कि इसके लिए उनके पास 20 मरीज रजिस्ट्रेशन भी करवा चुके हैं। इस थैरेपी पर लगभग 15 लाख रुपए का खर्च आ सकता है। इसका फायदा यह है कि बधिरता दूर करने के लिए किसी तरह के उपकरण की जरूरत नहीं होगी और मरीज में सामान्य रूप से सुनने की क्षमता विकसित होगी। इस थैरेपी से जीवन में केवल एक बार ही उपचार करवाने की जरूरत होगी।

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