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डासना क्षेत्र की दो कॉलोनियों में फैला खसरा, सोता रहा स्वास्थ्य विभाग

खसरा के 20 मरीज मिले, 4 एक्टिव केस,4 मरीजों को करवाना पड़ा अस्पताल में भर्ती
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग
सूर्या बुलेटिन

गाजियाबाद। डासना क्षेत्र की दो कॉलोनियों में खसरा फैल रहा है। पिछले एक महीने के दौरान डासना सीएचसी क्षेत्र की शंकर विहार और राधा कुंज कॉलोनी में 20 बच्चे खसरा की चपेट में आ चुके हैं। इनमें से चार बच्चों को अस्पताल में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ी। फिलहाल 4 एक्टिव पेशेंट हैं। बच्चों में खसरा फैलने की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीमें इलाके में सर्वे, टीकाकरण और दवा वितरण कर रही हैं। जिला सर्विलांस अधिकारी के अनुसार हालात सामान्य हैं। जो बच्चे खसरा की चपेट में आए थे उनका टीकाकरण नहीं हुआ था और वह माइग्रेटेड हैं। शुक्रवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने दोनों कॉलोनियों में दौरा किया।
डासना क्षेत्र की दो कॉलोनियों में खसरा फैलने की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को काफी देर से हुई। खसरा का पहला केस जून में सामने आया था, जिसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को दी गई थी, लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण इलाके में सर्वे और दवा वितरण का कार्य शुरु नहीं हो सका। इस दौरान डब्ल्यूएचओ की ओर से क्षेत्र में सर्वे करके सीएमओ और शासन को रिपोर्ट भेजी गई। जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया। स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने क्षेत्र में सर्वे शुरु किया और संक्रमित बच्चों की तलाश की। हालांकि विभाग का सर्वे शुरु होने तक अधिकांश बच्चे स्वस्थ हो चुके थे। फिलहाल क्षेत्र में चार एक्टिव पेशेंट हैं। विभाग की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में पिछले 20 दिनों से खसरा संक्रमण फैला है , लेकिन शुक्रवार को संयुक्त टीम ने इलाकों का दौरा किया। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता के अनुसार निजी अस्पताल से खसरा संक्रमित होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद इलाके में सर्वे और टीकाकरण करवाया गया। सर्वे में पता चला कि कुल 20 बच्चे खसरा की चपेट में आए थे, जिनमें से 4 बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करवाने की जरूरत पड़ी। फिलहाल दोनों कॉलोनियों में केवल 4 बच्चे ही संक्रमित हैं, जिनका उपचार चल रहा है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र में लगातार टीकाकरण कैंपों का आयोजन किया जा रहा है और विटामिन ए, ओआरएस के साथ जरूरी दवाओं का वितरण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि दोनों कॉलोनियों में रहने वाले अधिकांश परिवार मजदूर तबके के हैं और काम की तलाश में भ्रमण करते रहते हैं। जिन बच्चों को खसरा हुआ वह कुछ समय पहले ही यहां आए थे और उनका टीकाकरण नहीं हुआ था।


संक्रामक रोग है खसरा
रूबेला वायरस के संक्रमण से खसरा होता है। खसरा संक्रमित अपने संक्रमण में आने वाले अन्य बच्चों को भी संक्रमित कर सकता है। खसरा का खतरा सबसे ज्यादा 0 से 12 साल तक के बच्चों और जिनका टीकाकरण नहीं होता है, उन्हें रहता है। हालांकि डॉक्टर बताते हैं कि खसरा किसी भी आयु में हो सकता है। यदि रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर है तो संक्रमित के संपर्क मे आने से यह संक्रमण हो सकता है। यह संक्रमण ड्रॉपलेट, खाना, कपड़े और छूने से फैलता है। खसरा के लक्षण लगभग 3 से 7 दिन में उभरते हैं। सामान्य रूप से इस संक्रमण में पहले बुखार और जुकाम होता है और तीसरे से सातवें दिन शरीर पर लाल दाने उभरने लगते हैं। इस बीमारी में शरीर में पानी की कमी हो जाती है। खसरा का कोई सटीक उपचार नहीं है और लक्षणों के आधार पर एंटी वायरल दवाओं के जरिए इसका उपचार किया जाता है।


22 साल की युवती की हुई थी मौत
साहिबाबाद की पीर कॉलोनी में रहने वाली मुस्कान (18) को तेज बुखार और शरीर पर छोटे लाल दाने निकल आए थे। मुस्कान की बीमारी के बारे में आसपास के लोगों ने परिवार से कहा था कि इसमें कोई दवा नहीं दी जाती है और घर पर रखकर सफाई और खानपान का ध्यान रखा जाता है। जिसके चलते राहिला ने मुस्कान को कहीं से दवा नहीं दिलवाई थी। 12 जून को मुस्कान की हालत ज्यादा खराब होने पर परिवार वाले उसे जिला एमएमजी अस्पताल लेकर पहुंचे। जहां उपचार शुरु होने के कुछ देर में ही मुस्कान ने दम तोड़ दिया।
संचारी रोग अभियान के दौरान फैली गंदगी
दोनों कॉलोनियों में संचारी रोग नियंत्रण अभियान के दौरान भी गंदगी फैली है और सड़कों पर पानी जमा है। जिससे कई और बीमारियां फैलने का खतरा भी बना हुआ है। डीएसओ ने बताया कि खसरा रूबेला वायरस के संक्रमण से होता है। संक्रमण से बचने के लिए स्वच्छता का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। बच्चों को गंदी जगह पर न खेलने दें और बाहर से आने पर उनके हाथ पैर अच्छी तरह से धोएं। खसरा का खतरा 0 से 12 साल के बच्चों के ज्यादा रहता है और जिनका टीकाकरण नहीं होता उन्हें भी इस संक्रमण का खतरा रहता है।
17 टीमों का गठन
जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. आरके गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार को उन्होंने जिला एपिडिमियोलॉजिस्ट गोविंद रौतेला, डासना सीएचसी के स्वास्थ्य पर्यवेक्षक के साथ क्षेत्र में निरीक्षण किया। क्षेत्र में सर्वे, परीक्षण, दवा वितरण और टीकाकरण के लिए 17 टीमों का गठन किया गया है। 5 हजार से ज्यादा परिवारों का सर्वे किया जा चुका है और 1200 से ज्यादा बच्चों का टीकाकरण किया गया है। इस दौरान जो बच्चे खसरा की चपेट में आए थे उनसे भी हाल जाना। उन्होंने कहा कि फिलहाल डासना सीएचसी की टीमें क्षेत्र में लगातार टीकाकरण और दवाओं का वितरण कर रही हैं और हालात सामान्य हैं।
खसरा के लक्षण
तेज बुखार, जुकाम, शरीर पर लाल दानें
ऐसे करें बचाव
बच्चों का टीकाकरण जरूर करवाएं
गंदगी में न खेलने दें, स्वच्छता का ध्यान रखें
बच्चों को संक्रमित के संपर्क में न आने दें

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