उत्तर प्रदेशगाज़ियाबादमहानगरराष्ट्रीयस्वास्थ्य

हैपेटाइटिस के मामलों में मंडल में पहले और वेस्ट यूपी में तीसरे स्थान पर गाजियाबाद

सरकारी स्तर पर जांच का दायरा बढ़ाने के प्रयास, स्वास्थ्य केंद्रों पर किट से होगी जांच
प्रदेश में 34 प्रतिशत और वेस्ट यूपी में 39 प्रतिशत मामले


सूर्या बुलेटिन

गाजियाबाद। जिले में हेपेटाइटिस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। गंभीर बात यह है कि हैपेटाइटिस के मामले में गाजियाबाद मेरठ मंडल में पहले और वेस्ट यूपी में तीसरे स्थान पर है। गंभीर बात यह है कि जिले में सरकारी स्तर पर इस जानलेवा बीमारी की जांच की भी सुविधा नहीं है। हैपेटाइटिस के सैंपल जांच के लिए मेरठ भेजे जाते हैं। जांच रिपोर्ट आने में एक से दो सप्ताह का समय लग जाता है। जब तक मरीज को लक्षणों के आधार पर दवाएं दी जाती हैं।
दुनिया भर में हैपेटाइटिस के जितने मामले में हैं, उनका 32 प्रतिशत भारत में है। देश में हैपेटाइटिस के मामलों का सबसे ज्यादा लोड उत्तर प्रदेश में 34.58 प्रतिशत है। उत्तर प्रदेश में हैपेटाटिस के जितने मामले हैं उनमें से उनमें से 39 प्रतिशत मामले वेस्ट यूपी में हैं। वेस्ट यूपी के 18 जिलो में सबसे ज्यादा हेपेटाइटिस के मामले बिजनौर में (11040 हैं। जबकि दूसरे स्थान पर अमरोहा 841 मामले के साथ है और तीसरे स्थान पर गाजियाबाद 737 मामलों के साथ है।
बच्चे भी हैपेटाटिस बी और सी से पीड़ित
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में 0 से 14 साल तक के 10 बच्चे हैपेटाइटिस से पीड़ित हैं। इनमें पांच बच्चे हैपेटाइटिस सी और पांच बच्चे हैपेटाइटिस बी से पीड़ित हैं। अधिकांश का उपचार स्वास्थ्य विभाग से चल रहा है। मार्च 2021 से फरवरी 2024 तक स्वास्थ्य विभाग की जांच में हैपेटाइटिस सी के 2316 मामले सामने आए हैं और मई 2022 से फरवरी 2024 तक हैपेटाइटिस बी के 737 मामले सामने आए हैं। 15 से 64 वर्ष आयु वर्ग में हैपेटाइटिस के सबसे ज्यादा मामले हैं। हैपेटाइटिस सी से पुरुष ज्यादा पीड़ित हैं जबकि हैपेटाइटिस बी के मामले महिलाओं में ज्यादा है। हैपेटाइटिस सी से 1172 पुरुष और 1014 महिलाएं पीड़ित हैं। जबकि हैपेटाइटिस बी के शिकार 358 पुरुष और 359 महिलाएं हैं।
पांच प्रकार है होता है हैपेटिइटिस
आईएमए के स्टेट सचिव और सीनियर फिजिशियन डॉ. वीबी जिंदल बताते हैं कि हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई, पांच प्रकार का होता है। हेपेटाइटिस बी और सी के कारण 80 फीसदी लोग लिवर कैंसर का शिकार हो जाते है। लिवर सिरोसिस का भी बहुत बड़ा कारण हेपेटाइटिस बी है। दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हेपेटाइटिस बी के कारण होती हैं। डॉ. जिंदल कहते हैं कि समय रहते हेपेटाइटिस की पहचान हो जाने पर मरीज को गंभीर बीमारियों की चपेट में आने से बचाया जा सकता है।
कैसे फैलता है हेपेटाइटिस
हेपेटाइटिस ए और ई वायरस आमतौर पर दूषित पानी और खाने के सेवन से फैलता है। हेपेटाइटिस बी वायरस इंजेक्शन, संक्रमित खून दिए जाने और यौन सम्पर्क के कारण फैलता है। हेपेटाइटिस सी और डी वायरस संक्रमित व्यक्ति के मूत्र, रक्त या अन्य द्रव्य पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। इसके साथ ही यह संक्रमित रक्त, दूषित सुई एंव अन्य संक्रमित चिकित्सीय उत्पादों के प्रयोग से होता है। हेपेटाइटिस बी वायरस संक्रमित मां से उसके होने बच्चे को भी हो सकता है।
हेपेटाइटिस बी का होता है टीकाकरण
हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है और सरकारी स्तर पर बच्चों को इम्यूनाइजेशन के दौरान यह वैक्सीन लगाई भी जाती है। जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. नीरज अग्रवाल के अनुसार बच्चों को वैक्सीन की तीन डोज दी जाती हैं। बड़े भी यह वैक्सीन निजी अस्पताल में लगवा सकते हैं। वैक्सीन लगवाने से काफी हद तक हेपेटाइटिस बी का खतरा कम हो जाता है।
जिले में लगातार बढ़ रहे हैं हेपेटाइटिस के मरीज
जिला एमएमजी अस्पताल के सीनियर फिजिशियन डॉ. अलोक रंजन के अनुसार उनके पास सप्ताह भर में 10 से 15 मरीज हेपेटाइटिस के लक्षण वाले आते हैं। हालांकि अधिकांश मरीजों में गंभीर लक्षण नहीं होते। शुरुआती दौर में इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसलिए लक्षण उभरने पर लापरवाही न करें और डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
क्या कहते हैं अधिकारी
जिले में हैपेटाइटिस की जांच के लिए बड़े स्तर पर व्यवस्था की जा रही है। जिले की सभी पीएचसी पर किट के जरिए इसकी जांच शुरु की जा रही है। किट के जरिए कुछ ही देर में हेपेटाइटिस का पता चल जाएगा। इसके बाद उसका प्रकार और वायरस लोड के लिए जांच की जाएगी। फिलहाल आईडीएसपी लैब में इसकी व्यवस्था है। कोरोना लैब में भी हैपेटाइटिस की जांच शुरु करने के प्रयास किए जा रहे हैं। जल्द ही जिले में हैपेटाइटिस की पूर्ण जांच जिले में ही हो सकेगी।
डॉ. आरके गुप्ता, जिला सर्विलांस अधिकारी एवं नोडल अधिकारी हैपेटाइटिस

हेपेटाइटिस के लक्षण
हमेशा हल्का बुखार महसूस होना
भूख कम होना या न लगना।
बदन में लगातार दर्द होना।
जी मिचलाना और कुछ खाने पीने पर उल्टी होना
आंखों के नीचे पीलापन होना
पैरों में सूजन होना
पेट में लगातार हल्का या तेज दर्द बना रहना
कमजोरी महसूस होना।

हेपेटाइटिस से बचाव के उपाय
अपने आसपास साफ-सफाई का ध्यान रखें।
समय पर टीकाकरण कराएं।
अधिक तैलीय पदार्थों के सेवन से बचें।
शराब व अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से बचें।
डॉक्टर की सलाह के बिना दवा न लें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button