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दिन ढलते ही सड़कों पर सजते हैं रेस्टोरेंट


तमाम विभाग बेखबर,एक्शन के नाम पर औपचारिकता
तुराब नगर मे तो सड़कों से अतिक्रमण हटाने पहुंच गई निगम की टीम  
आरडीसी की बदतर हालात को लेकर निगम अधिकारियों ने झाडा पल्ला

सूर्या बुलेटिन
गाजियाबाद। सड़कें बिकती हैं बोलो खरीदोगे! जी हां, देखा जाए तो इस तरह की स्थिति गाजियाबाद की सडको पर देखी जा सकती है। आमतौर पर यदि किसी तरह की पार्किंग की व्यवस्था करनी होती है तो उसके लिए बाकायदा सुरक्षित स्थान सुनिश्चित किया जाता है,लेकिन गाजियाबाद में दूर तक भी ऐसा दिखाई नहीं पड रहा है। नगर निगम का खजाना भरने के नाम पर नगर निगम के द्वारा शहर की प्रमुख सड़कों को पार्किंग स्थल के तौर पर बेच दिया है। पार्किंग के कारोबार से जुडे लोगों के द्वारा किस स्थान पर वाहनों को खडे कराया जाता है,दूर तक भी देखने वाला कोई नहीं है। मजे की बात ये है कि शहर का हाट कहे जाने वाले आरडीसी की हालत तो बद से बदतर हो गई है।

कहने के लिए आरडीसी,रमते राम रोड तथा नवयुग मार्केट की ज्यादातर बिल्डिंग में बरामदों की व्यवस्था इस लिए की गई कि बरसात तथा तेज धूप के बीच लोग पैदल बरामदों से आवागमन कर सकें,लेकिन ज्यादातर कारोबारियों के द्वारा बरामदों पर ही कब्जा कर लिया गया है,बल्कि कुछ बिल्डिंग में बरामदों के बाहर रोड पर बाकायदा रेस्टोरेंट लगाए जाते है। शाम होते ही इन रेस्टोरेंट पर भीड़ लगने लगती है। ये स्थिति केवल आरडीसी तक ही सीमित नहीं है,बल्कि नवयुग मार्केट में भी दुकान के बाहर रेहडी लगायी जाती है, जहां लोगों को आमलेट आदि का लुत्फ उठाते हुए देखा जा सकता है। दो दिन पहले नगर निगम की टीम तुराब नगर की सडकों से अतिक्रमण हटाने तो पहुंच गई,लेकिन उसे व्यापारियों के विरोध के चलते बैरंग लौट गई।

जीडीए का प्रवर्तन विभाग भी दे रहा है अनाधिकृत गतिविधियों को बढ़ावा
  देखा जाए तो जीडीए के प्रवर्तन विभाग के द्वारा भी अनाधिकृत गतिविधियों को बढ़ावा दे रहा है। चाहे कविनगर हो या फिर शास्त्री नगर,चिरंजीव विहार अधिकांश कालॉनियों में जो रोड के साथ आवासीय भूखंड आवंटित किए गए,सभी में व्यावसायिक गतिविधियां देखी जा सकती है। यही समान स्थिति हिंडन पार के वैशाली,इंदिरापुरम में भी है,जहां पर पार्किंग के लिए प्रस्तावित स्थलों पर बिल्डरों के द्वारा बडे बडे शो रूम बना लिए गए है। बताते है कि इंदिरापुरम के नीति खंड प्रथम के जिस भूखंड संख्या 554 को जीडीए के अपर सचिव के दिशा निर्देशन में तीन बार सील किया गया,उसके शत प्रतिशत हिस्से पर व्यावसायिक बिल्डिंग का निर्माण कर लिया गया। ये ही खेल अब नीति खंड द्वितीय के भूखंड संख्या 444 पर भी देखा जा सकता है।


जानकारों की मानें तो बरामदों एवं रोड पर कब्जा किए कारोबारियों में तनिक भी नगर निगम का दूर तक भी खौफ नहीं है। जिस वक्त निगम की टीम पहुंचती है,कुछ देर के लिए समान को समेट दिया जाता है टीम के लौटते ही बरामदों तथा रोड पर कब्जा कर लिया जाता है। निगम अधिकारियों का तर्क है कि आरडीसी को लेकर अधीनस्थ अधिकारियों से जानकारी करने पर पता लगा कि आरडीसी अभी तक निगम के हेंडओवर नहीं है। आरडीसी की सड़कों तथा बरामदों को अतिक्रमण से मुक्त कराने का दायित्व जीडीए का है। जीडीए के अधिकारियों को वस्तुस्थिति से अवगत कराया गया है।
देखा जाए तो नवयुग मार्केट,रमते राम रोड तथा आरडीसी विकसित किए जाने के दौरान ज्यादातर बिल्डिंग में व्यावसायिक गतिविधि को बढावा देने के कडी में बरामदों की व्यवस्था सुनिश्चित की गई। यदि रमते राम रोड का ही हाल देखे तो जिन लोगों के द्वारा रमते राम रोड पर दुकानें आरंभ की गई,ज्यादातर कारोबारियों के द्वारा न केवल बरामदों पर कब्जा कर लिया गया है,बल्कि बरामदों के बाहर भी रोड पर सामान को रखा जाता है। जिसका नतीजा ये होता है कि सडकों पर अक्सर जाम की समस्या बनी रहती है। यही समान स्थिति आरडीसी के भी है। आरडीसी मंे तो दिनों दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे है। जानकार लोगों की मानें  तो आरडीसी की सड़कों पर शाम के वक्त पैदल आवागमन करना भी चुनौती पूर्ण होता है।
–कैसे दूर हो समस्या
जानकारों लोगों की मानें तो बरामदों आदि पर बढती लीक से हटकर गतिविधियों पर उसी वक्त नियंत्रण संभव है,जब निगम टीम के द्वारा लगातार दिन के साथ दिन छिपने के बाद भी औचक तरीके से अभियान चलाया जाए। केवल एक दिन के अभियान से समस्या कदापि दूर होने वाली नहीं है। उन कारोबारियों पर भारी जुर्माने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए जिनके द्वारा दुकान के बाहर बरामदे तथा सडकों पर  लीक से हटकर गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है।
  

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