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उत्तरांचल एवं पूर्वांचल भवनों लीज पर दिया जाना होगा घातक


-मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने का किया गया आग्रह

सूर्या बुलेटिन
गाजियाबाद। नगर निगम के द्वारा बनाए गए उत्तरांचल एवं पूर्वांचल भवनों को रखरखाव के लिए खुली बोली के माध्यम से लीज पर दिए जाने के कदम का विरोध तेज हो गया है। समाज के लोगों ने लेटर के माध्यम से मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।  वहीं बीजेपी के पूर्व पार्षद ने भी उत्तरांचल एवं पूर्वांचल भवन को लीज पर दिए जाने के कदम को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।
उत्तराखंड समाज समिति के अध्यक्ष सच्चिदानंद शर्मा ने एक लेटर के माध्यम से कहा कि भारत एक विभिन्न लोक कलाओं एवं संस्कृति का देश है। जिसमें प्रत्येक प्रांत की अपनी बोली,भाषा,रीति रिवाज, वेशभूषा, खान,पान, रहन सहन का अपना महत्व है। प्रदेश सरकार के द्वारा उत्तराखंड एवं पूर्वांचल मूल के लोगों के लिए सांस्कृतिक धरोहर के रूप में दो भवनों की सौगात दी,दोनों भवनों का निर्माण धार्मिक भवनों का सम्मान करते हुए आराध्य देव बद्री नाथ धाम  एवं बाबा विश्वनाथ धाम के स्वरूप को ध्यान में रखते हुए किया गया।  लेटर में ये भी उल्लेख किया गया कि राजस्थान के पुष्कर धाम में राजस्थान सरकार के द्वारा उत्तराखंड आश्रम का निर्माण किया गया। इसका संचालन उत्तराखंड की सामाजिक संस्था के द्वारा किया जा रहा है,लेकिन नगर निगम के द्वारा जो उत्तरांचल एवं पूर्वांचल भवन बनाए उनके रखरखाव का दायित्व खुली बोली के माध्यम से दिया जा रहा है,जो कि दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं बीजेपी के पूर्व पार्षद राजेंद्र त्यागी ने कहा कि निगम के द्वारा खुली बोली के माध्यम से दोनों भवनों के रखरखाव का दायित्व दिया जाना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है। उन्होंने कहा कि जिस उद्देश्य से उत्तरांचल एवं पूर्वांचल भवनों का निर्माण किया गया,उसे भी व्यावसायिक तरीके से दिया जाना दुखद है।

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