दिल्ली

100 बात की एक बात “जिहादी हरकत” के सामने घुटनों पर दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी टोपी वाले समुदाय के दबाव में नजर आ रहे हैं। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि उन अधिकारियों पर केंद्र सरकार में बैठे नेताओं ने दबाव डाला हो। बात हो रही है दिल्ली में महाशिवरात्रि के दौरान सड़क पर अवैध रूप से नमाज पढ़ने से रोकने वाले मामले की। दिल्ली के इंद्रलोक इलाके में सैकड़ों लोग मस्जिद के बाहर सड़क पर नमाज पढ़ रहे थे। वहां सब इंस्पेक्टर मनोज तोमर की ड्यूटी थी। सब इंस्पेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए बड़े ही अदब से लोगों को सड़क पर नमाज पढ़ने से मना किया, लेकिन जिहादी मानसिकता वाले माने नहीं और सब इंस्पेक्टर की उस दलील को भी दरकिनार कर दिया कि महाशिवरात्रि है, यदि हिन्दू लोग उस सड़क पर आए तो परेशानी होगी। जिहादी नहीं मानें और जबरन सड़क पर ही नमाज पढ़ने लगे। सब इंस्पेक्टर ने फिर से उन्हें हटाने के लिए हल्का बल प्रयोग किया, लेकिन जिहादी तब भी नहीं मानें। जिसके बाद सब इंस्पेक्टर को लात का प्रयोग करना पड़ा। इस पर कुछ जिहादियों ने पूरे वीडियो की कांट छांट करके सोशल मीडिया पर चला दिया और हंगामा खड़ा कर दिया। सब इंसपेक्टर मनोज तोमर के साथ जिहादियों ने बुरी तरह से धक्का मुक्की करते हुए मारपीट की और उन्हें बेइज्जत किया। लेकिन, सोशल मीडिया पर वायरल किए गए वीडियो में केवल आधी बात ही दिखाई गई। पुलिस के आला अधिकारियों ने भी वीडियो की सच्चाई जाने बिना सब इंस्पेक्टर मनोज तोमर को सस्पेंड कर दिया। केवल इतना ही नहीं सस्पेंशन लेटर को सोशल मीडिया पर भी डाल दिया। ऐसा करके दिल्ली पुलिस ने या फिर उनके आकाओं ने न केवल जिहादियों को ही खुश करने और उनके गजवा-ए-हिन्द को पुष्ट करने का काम किया है बल्कि पुलिस का मनोबल भी गिराया है। शायद दिल्ली पुलिस और उनके आका यह भूल गए कि इसी जिहादी भीड़ ने फरवरी 2020 में सीएए के विरोध के नाम पर 53 से ज्यादा लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। आईबी के हेड कॉन्स्टेबल अंकित शर्मा को चाकुओं से गोदकर नाले में फेंक दिया था। अंकित शर्मा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर चाकू के 400 से ज्यादा जख्म मिले थे। इसके अलावा दिल्ली पुलिस के हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया था। पुलिस के आला अधिकारियों को भी रेलिंग कूदकर जान बचाकर भागना पड़ा था। उस जिहादी आंदोलन में सैकड़ों पुलिसकर्मियों को गोली लगी थी और हजारों घायल हुए थे। सौबातकीएकबातयहहैकियदिपुलिसऔरनेताहीइसजिहादीमानसिकताकोपोषितकरेंगेतोकानूनमेंनिष्ठारखनेवालेपुलिसकर्मीऔरआमआदमीक्याकरेंगे।क्याउन्हेंअपनीजानजिहादियोंकेहाथोंसौंपनेकेलिएमजबूरनहींकियाजारहाहै? तथाकथित हिन्दू वादियों की चुप्पी भी यह बता रही है कि ये सरकार के  गुलाम हैं। क्योंकि उन्हें पता है कि दिल्ली पुलिस केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह हैं। यह बेहद शर्मनाक और डरावना है कि कानून का पालन करने वाले को अपनी ड्यूटी निभाने के एवज में ऐसी जिल्लत से नवाजा जाए। यदि ऐसा ही रवैया रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जिहादी अंकित शर्मा,  रतन लाल की तरह की लोगों को खींचकर चाकुओं से गोद देंगे या फिर गोली से भून देंगे!

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