गाज़ियाबाद

देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सैनिकों को शहीद न कहे जाने का यह है कारण, सरकार ने बताई वजह

संसद में एक बार फिर सैनिकों को शहीद न कहे जाने का मुद्दा उठा है जिसपर सरकार ने जवाब दिया है। सरकार ने कहा है कि संघर्ष या आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों के लिए शहीद शब्द का इस्तेमाल नहीं होता है।सूर्या बुलेटिन : देश के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देने वाले भारतीय सशस्त्र बल (Indian Armed Forces) को शहीद का दर्जा नहीं दिया जाता है। इसे एक बार फिर स्पष्ट करते हुए सरकार ने संसद में कहा है कि संघर्ष या आतंकवाद विरोधी अभियान के दौरान जान गंवाने वाले सैनिकों के लिए ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल नहीं होता है। बता दें कि तृणमूल कांग्रेस के सांसद शांतनु सेन ने इस सवाल को संसद में उठाया था जिसके जवाब में रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने इसके इस्तेमाल को गलत बताया है।

सेना ने पत्र लिखकर जताई आपत्ति

बता दें कि सरकार ने इसके लिए सेना का ही हवाला दिया है। सरकार के अनुसार सैनिक को शहीद का कहने के लिए खुद सेना ने अपने सभी कमांड को पत्र लिखकर मना किया है। सेना के पत्र के अनुसार सैनिक के इस बलिदान को ‘मार्टर’ या ‘शहीद’ कहना गलत है।

सेना का मानना है कि ‘शहीद’ शब्द का इस्तेमाल उसके लिए किया जाता है जिसकी मृत्यु किसी सजा के तौर पर हुई हो या जिसने धर्म के लिए त्याग करने से मना कर दिया हो अथवा वह आदमी अपनी राजनीतिक या धार्मिक सोच के लिए मारा गया हो। पत्र में आगे कहा कि जवानों ने देश की एकता और क्षेत्रीय अखंडता तथा संविधान की रक्षा के लिए कई बार अपनी गवाईं है और भारतीय सशस्त्र बल हमेशा से धर्मनिरपेक्ष और गैर-राजनीतिक रहे हैं।

गौरतलब है कि सेना द्वारा जारी इस पत्र में जान गवाने वाले इन सभी जवानों के लिए कुछ शब्दों के इस्तेमाल का सुझाव भी दिया गया है। देश की सुरक्षा और अखंडता के लिए कुर्बानी देने वाले सैनिकों को लिए छह शब्दों के इस्तेमाल का सुझाव दिया गया है। इनमें किल्ड इन एक्शन (कार्रवाई के दौरान मृत्यु), सुप्रीम सेक्रिफाइज फार नेशन ( देश के लिए सर्वोच्च बलिदान), लेड डाउन देयर लाइफ्स (अपना जीवन न्यौछावर करना), फालन हीरोज (लड़ाई में मारे गए हीरो), इंडियन आर्मी ब्रेव्स (भारतीय सेना के वीर), फालन सोल्जर्स (आपरेशन में मारे गए सैनिक) शामिल है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button