जयंत चौधरी व अखिलेश यादव की मुलाकात से सरगर्मियां तेज
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए विधानसभा चुनाव पर हुई दोनों पार्टी अध्यक्षों के बीच अहम चर्चा
सूर्या बुलेटिन (नई दिल्ली)। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आपस में मुलाकात करके खासकर पश्चिम उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इस मुलाकात में विधानसभा चुनाव में दोनों दलों के बीच गठबंधन होना तय हो गया है, सिर्फ औपचारिक घोषणा होनी बाकी है।
दोनों नेताओं ने मुलाकात के दौरान पश्चिम उत्तर प्रदेश की किसान राजनीति पर चर्चा करते हुए इस बात पर विचार किया कि भाजपा को इस क्षेत्र में किस तरह पछाड़ा जाये। केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों को लेकर हो रह किसानों द्वारा किये जा रहे विरोध की पृष्ठभूमि पर भी चर्चा की गयी। किसानों के पक्ष में रालोद के होने के कारण सपा अध्यक्ष ने रालोद को महत्व दिया है। इसी के कारण अखिलेश यादव जयंत चौधरी को लखनऊ बुलाने की जगह वह स्वयं जयंत चौधरी के दिल्ली स्थित आवास गए ।
रालोद ने बिगुल बजाया
रालोद ने विधानसभा चुनाव का बिगुल बजा दिया हैै। मंगलवार को खतौली में जहां भाईचारा सम्मेलन का आयोजन किया गया। वहीं रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने चुनावी घोषणापत्र तैयार करने के लिए लोक संकल्प समिति का गठन कर दिया। खादी ग्रामोद्योग आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. यशवीर सिंह इस समिति के अध्यक्ष बनाए गए हैं, जबकि पूर्व विधायक प्रो. अजय कुमार सह अध्यक्ष बनाए गए हैं। कुल 20 सदस्यीय इस समिति में जन प्रतिनिधियों के सूत्रों का कहना है कि गठबंधन में पश्चिम उत्तर प्रदेश में रालोद की भूमिका अग्रणी होगी।
दो दर्जन सीटों पर है रालोद का दबदबा
पश्चिम उप्र के लगभग दो दर्जन जिलों की 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर रालोद का खासा प्रभाव है। वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में रालोद 38 सीटों पर लड़ा था। लेकिन सिर्फ 14 पर ही उसे जीत मिली थी। 2007 में जब मायावती की बसपा ने सरकार बनाई, उस चुनाव में रालोद का प्रदर्शन और सिमट गया और वह महज 10 सीटों पर सिमट गई। 2012 में 46 सीटों पर पार्टी ने प्रत्याशी उतारे, लेकिन जीत सिर्फ 9 पर मिली। चौ. अजित सिंह की मौत के बाद बदली हुई सियासी परिस्थितियों में रालोद नई ताकत बनकर उभरा है। हाल ही में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में पार्टी ने अच्छी खासी सफलता हासिल की है।