गर्भवती महिलाओं एवं कोरोना संक्रमित कर्मचारियों से करा रहे चुनावी ड्यूटी, ये कैसा लोकतंत्र?
ब्यूरो रिपोर्ट – आकाश निर्वाण यादव
सूर्या बुलेटिन न्यूज़ (बुलंदशहर)
प्रदेश में कोरोना महामारी जोरों पर है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार लगभग 3 लाख सक्रिय मामले अभी तक प्रदेश में अंकित किए जा चुके हैं।
वहीं दूसरी ओर पंचायती चुनावों को संपन्न कराने हेतु बुलंदशहर प्रशासन प्रतिबद्ध है। ऐसे में जनपद बुलंदशहर में आगामी 29 तारीख को चुनाव होना निश्चित हैं जिसमे विभिन्न सरकारी विभागों के महिला पुरुष कर्मचारियों को चुनावी ड्यूटी सौंपी गई हैं।
इन्हीं कर्मचारियों में कुछ ऐसी महिलाएं हैं जो गर्भवती हैं साथ ही कुछ अन्य कर्मचारी हैं जो कोराेना संक्रमित पाए गए हैं। ये सभी बुलंदशहर के आला अधिकारियों से गुहार लगाते दिख रहे हैं कि उनकी चिकित्सकीय गंभीरताओं को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें इस चुनाव से छूट दी जाए। किंतु अधिकारियों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। उल्टा जांच करने वाले मेडिकल अधिकारी गर्भवती महिलाओं से बदतमीजी करते दिखाई दिए।
यहां प्रश्न यह है कि क्या वास्तव में शासन या प्रशासन को चुनाव के आगे इन कर्मचारियों की समस्याएं दिखना बंद हो गई हैं या फिर साधारण नागरिक जो कि वोट करने आएगा क्या वह इन संक्रमित कर्मचारियों के संपर्क में आने से प्रभावित नहीं होगा? या गर्भवती महिला कर्मचारियों को यदि चुनावी ड्यूटी के कारण कोई गंभीर चिकित्सकीय हानि होती है तो उसका उत्तरदाई कौन होगा?
बहरहाल इन सभी प्रश्नों का उत्तर मिलता दिखाई नहीं पड़ता। चुनाव तो इतना आवश्यक है कि कर्मचारी मरे या नागरिक नेताओं को आनंद आना चाहिए और नौकरशाही तो वैसे ही आनंद में है।
यहां यह कहना अनुचित नहीं होगा कि जनपद बुलंदशहर में अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहानी बिल्कुल सटीक बैठती है। अब देखना ये है कि जिलाधिकारी या मुख्य विकास अधिकारी इस संदर्भ में कोई उचित कार्यवाही करने की मंशा भी रखते हैं या नहीं।