गाज़ियाबाद

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सूर्या बुलेटिन का कटु सत्य

सूर्या बुलेटिन (गाजियाबाद): एक पुरुष को नौकरी मिलती है, तो पूरे परिवार, जिसमे माता-पिता,पत्नी,बच्चों और कभी कभी… दादा-दादी को भी आर्थिक सहारा मिल जाता है ! रोजगार प्राप्त पुरुष पूरे परिवार के लिए मेरुदंड होता है ! जब एक युवती को नौकरी मिलती है तो अक्सर उसके धन को उसका पिता तक छूने में संकोच करता है… सरकारी हो प्राइवेट… अविवाहित नौकरीशुदा युवती को कम से कम उसकी बराबरी की नौकरी का पुरुष साथी… पति के रूप में चाहिए होता है ! परिणाम यह होता है जहां आज हज़ारों-लाखों परिवारों में पति-पत्नी दोनो नौकरीशुदा हैं,वहीं लाखों परिवार एक भी नौकरी से वंचित हैं… पुरुष सदस्य भी नौकरी की आस में बुड्ढे हो जाते हैं… परिवार के परिवार निर्धन होते जाते हैं… भीख मांगने की नौबत आ जाती है !

            नारीवाद के इस युग मे थोक के भाव मे युवतियों को प्राइवेट और सरकारी नौकरियां बांटी जा रही हैं ! कम से कम यह नीति अवश्य होनी चाहिए कि विवाहित युगल में यदि एक सदस्य नौकरी शुदा है तो दूसरा सदस्य नौकरी के लिए आवेदन करने के लिए अयोग्य माना जाये ! इससे किसी अन्य ज़रूरतमंद परिवार को कम से कम एक नौकरी का प्रोविजन हो सकेगा !… समाज कल्याण के लिए यह एक अनूठा विचार है,बहुत से लोग इस विचार को जड़ से नकार देंगे मगर एक परिवार में पति-पत्नी मिलकर इतना कमा रहे हैं कि उन्हें यह दिक्कत है कि धन कहाँ और कैसे खर्च-निवेश करें … वहीं दूसरी ओर एक परिवार भूखों मरता है…

               नारीवाद और महिलाओं के 33 % आरक्षण के चक्कर में सुरक्षा बलों और पुलिस में महिलाओं की अंधाधुंध भर्ती हो रही है ! सच बताऊं तो यह भर्ती नुमाइशी है , सुरक्षा बलों में महिलाओं की भर्ती 5 % से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए,वह भी इसलिए कि किसी-किसी अभियान में दंगाई पुरुष महिलाओं को आगे कर देते हैं… हालांकि शाहीनबाग सहित सैकड़ों सुरक्षा अभियानों में महिला सुरक्षा कर्मी किसी काम नहीं आ सकीं !… जागरूकता,दंगाई से झूझने की क्षमता और फिटनेस… महिला सुरक्षा कर्मियों में बेहद निम्न श्रेणी की पाई गई ! जामिया और JNU के दंगाइयों और जेहादी जुनून से लबरेज़ औरतों को हमारी महिला कर्मी दंगों में एक मिनट टक्कर नहीं दे सकीं ! 2-4 % अपवाद हमेशा रहते हैं…

           इस नारीवाद और पुरुष सत्तात्मक व्यवस्था को खत्म करने के चक्कर मे देश के लाखों युवकों को नौकरी से वंचित करके… शारीरिक और मानसिक रूप से बेहद कमजोर बटालियनें खड़ी की जा रही है,जिनका रणक्षेत्र में कोई उपयोग नहीं है !

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