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सरकार ने कोवैक्सीन को लेकर भारत बायोटेक को दी नसीहत? जानिए क्या बोला विदेश मंत्रालय

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सूर्या बुलेटिन : हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने संयुक्त राष्ट्र की खरीद एजेंसियों के माध्यम से कोवैक्सीन टीकों की सप्लाई को सस्पेंड कर दिया था। जिसके बाद भारत के विदेश मंत्रालय का एक लेटर वायरल हुआ है जिसमें कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक को कथिततौर पर नसीहत दी गई है कि वे इससे जुड़े मुद्दों को हल करे। हालांकि इस मामले पर विदेश मंत्रालय ने अब सफाई दी है।

पहले समझिए कि मामला क्या है

खबर है कि कोवैक्सीन टीकों की सप्लाई सस्पेंड किए जाने के कुछ सप्ताह बाद विदेश मंत्रालय ने सुझाव दिया है कि डब्ल्यूएचओ द्वारा टीके के आपात उपयोग की मंजूरी को रद्द किये जाने से बचने के लिए भारत बायोटेक को तत्काल ध्यान देना होगा।

कोविड टीकाकरण पर एक प्रमुख अधिकार प्राप्त समूह के संयोजक डॉ वी के पॉल को मंगलवार को भेजे पत्र में विदेश मंत्रालय ने कहा कि टीकों और भारतीयों की अंतरराष्ट्रीय यात्रा को लेकर अनेक मुद्दे सामने आये हैं और इन पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है।

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने पत्र में कहा कि कोवैक्सीन को आपात उपयोग के लिए सूचीबद्ध (ईयूएल) करने के लिए 14 मार्च को भारत बायोटेक के परिसरों के निरीक्षण के बाद डब्ल्यूएचओ ने अच्छी विनिर्माण प्रक्रियाओं की कमी के चलते संयुक्त राष्ट्र की खरीद एजेंसियों के माध्यम से टीके की आपूर्ति को निलंबित करने की घोषणा की थी।

डब्ल्यूएचओ ने कहा कि टीका प्रभावी है और कोई सुरक्षा संबंधी चिंता नहीं है, लेकिन उसने टीके का इस्तेमाल कर रहे देशों को उचित कार्रवाई की सिफारिश की। पत्र के अनुसार, ‘‘हालात अन्य देशों द्वारा, विशेष रूप से जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय संघ के सदस्य देशों द्वारा कोवैक्सीन आधारित भारतीय टीकाकरण प्रमाणपत्रों की स्वीकार्यता को और जटिल बना देते हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘भारत बायोटेक को डीसीजीआई और डब्ल्यूएचओ के माध्यम से मामले पर तत्काल ध्यान देना चाहिए और ऐसी किसी स्थिति से बचना चाहिए जिससे भविष्य में कोवैक्सीन के लिए डब्ल्यूएचओ की ओर से ईयूएल को रद्द कर दिया जाए।’’

विदेश मंत्रालय ने दी सफाई

अब इस पत्र को लेकर विदेश मंत्रालय ने सफाई दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मीडिया रिपोर्टों ने मंत्रालय से एक पत्र का हवाला देते हुए “एक गलत तस्वीर पेश की” है।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक सूत्रों ने शुक्रवार को कहा, “ऐसा प्रतीत होता है कि यह मामला अधिकार प्राप्त समूह -5 के सदस्यों को भेजे गए एक आंतरिक दस्तावेज को जुड़ा है। यह समूह टीकों से संबंधित सभी मुद्दों को व्यापक रूप से देखता है।”

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने कहा, “एक गलत तस्वीर पेश करने के लिए लेटर के चुनिंदा हिस्सों को अप्रसंगिक तौर पर हाइलाइट किया गया है।” उन्होंने कहा कि भेजे गए लेटर में अधिकार प्राप्त समूह के विचार के लिए केवल तथ्यात्मक तरीके से कई मुद्दों को सूचीबद्ध किया गया है और विचाराधीन किसी भी मुद्दे पर विदेश मंत्रालय की स्थिति या टिप्पणी का संकेत नहीं देता है।

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