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राजा खेमकरण ने मुग़ल दरबार में फाड़ा औरंगजेब का नरभक्षी शेर – वीरांगना संजू चौधरी

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सुर्या बुलेटिन(मोदीनगर) वीर योद्धा राजा खेमकरण सोगरवाल को उनके 339वी जयंती पर सभी वीर , वीरांगना शत-शत नमन करते हैं। सुग्रीवगढ़ के जाट राजा खेमकरण सोगरवाल गोत में उत्पन्न हुए थे। जाट शूरवीर खेमकरण का जन्म 14 जनवरी 1680 के दिन महाराजा रुस्तम सिंह के घर उनकी चाहरणी रानी के गर्भ से हुआ था। इन्होने चौबुर्जा भरतपुर पर अपनी गढ़ी का निर्माण करवाया था।

सोगरवार लोगों में सुग्रीव नाम का एक बड़ा प्रसिद्ध योद्धा हुआ है। उसने वर्तमान सोगर को बसाया था। उस स्थान पर एक गढ़ बनाया था, जो सुग्रीवगढ़ कहलाता था। सुग्रीव गढ़ ही आजकल सोगर कहलाता है सारे सोगरवार पहले उसके नाम पर फसल में से कुछ अन्न निकालते थे।

अब भी ब्याह-शादियों में सुग्रीव के मठ पर एक रुपया अवश्य चढ़ाया जाता है। खेमकरण ने औरंगजेब की सेना के रास्ते बन्द कर दिये थे। अपने मित्र रामकी चाहर के साथ मिलकर आगरा, धौलपुर और ग्वालियर तक उसने अपना आतंक जमा दिया था। मुगलों के सारे सरदार उसके भय से कांपते थे। कहा जाता है वर्तमान भरतपुर उसी के राज्य में शामिल था। खेमकरण की आज्ञा थी गढ़ पर जो भी भोजन के समय नागरिक आये उसे भोजन जरूर करवाएं। उन्होंने घोषणा कर रखी थी जिसको भी भोजन न मिलता हो वो मेरे गढ़ पर भोजन कर सकता है। वीर होने के सिवा खेमकरण दानी और उदार भी थे। वह बलवान इतना था कि तलवार से ही एक साथ दो दिशाओं से छुट्टे शेरों को मार देता था।सोगर का ध्वंश गढ़ उसके अतीत की स्मृति दिलाता है।

 

 

जब दिल्ली पर मुगल बादशाह औरंगजेब आसीन था, उस समय शिकारियों ने एक नर भक्षी बब्बर शेर को पकड़ कर बादशाह के समक्ष पेश किया। इस नरभक्षी शेर के आंतक से मुगल जनता भयभीत थी। यह शेर पिंजरे में कैद होने से काफी दिनों से भूखा था।
भूखे शेर को भूख से बिलबिलाता और दहाड़ता देख बादशाह औरंगजेब ठहाके लगा रहा था। कुछ देर पश्चात बादशाह कहता है इतना ताकतवर और खतरनाक शेर हिंदुस्तान में दूसरा किसी के पास नहीं है, तभी एक दरबारी ने बादशाह को बोला गुश्ताकी माफ हो हज़ूर इस देश मे शेरो के शेर रहते हैं। गुस्से से औरेंगजेब ने यह ऐलान किया जो उसके इस बब्बर शेर से लड़ेगा बादशाह ए हिन्द उसका सम्मान करेगा ,उसकी वीरता की गुलामी करेगा। पूरे क्षेत्र में कोई भी शेर से लडने के लिए तैयार नहीं हुआ।

 

 

लेकिन खेमकरण सिंह जाट ने बादशाह के प्रस्ताव को स्वीकार किया। बादशाह को सन्देश भिजवा दिया शेरो के शेर आ रहे हैं ,तुम मुकाबले के तैयारी करो। बादशाह के हुक्म पे एक सप्ताह के भूखे शेर को पिंजरे में कैद कर के दरबार में लाया जाता है।

 

उधर सोगर के जाट राजा खेमकरण सिंह अपने कुलदेव को प्रणाम कर के शेर के पिंजरे में घुस जाता है। शेर दहाड़े मार के राजा खेमकरण सिंह पे झपट्टा मारता है । किंतु राजा खेमकरण सिंह की दहकते लाल आंखें देख के शेर सहम जाता है, और पीछे हट जाता है बादशाह के आदेश पर अब बादशाह के सैनिक पिंजरे के बाहर से भाला चुभे के बब्बर शेर को उकसाते हैं।

 

शेर एक बार फिर झपट्टा मारता है लेकिन इस बार तेजी से बब्बर शेर पर झपट्टा मार के खेमकरण सिंह दोनों हाथों में शेर का जबड़ा जकड़ लेते हैं । अपनी कटार से शेर का जबड़ा चिर देते हैं ।मुगल दरबार मे सन्नाटा छा जाता है। बादशाह औरंगजेब के अहंकार मिट्टी में मिल जाता है ,उसको जिस शेर कर नाज था वो मारा हुआ धरती पर पड़ा था सोगर के जाट शेर की सिंह गर्जना से पूरा मुगल दरबार गूंज रहा था।

 

एक बार औरँगजेब ने एक सबसे शक्तिशाली अफगानी मुस्लिम पहलवान ढूंढ निकाला उसे खेमकरण से कुश्ती लड़ने के लिए भेजा ताकि वह खेमकरण को नीचा दिखा सके। खेमकरण का अपना स्वयं का अखाड़ा था जहां वे हमेशा व्यायाम करते थे व हर साल कृष्ण जन्माष्टमी पर वहां खेल व कुश्ती दंगल होते थे।

 

अखाड़े के पास पहुंचकर अफगानी ने खेमकरण को ललकारा तो खेमकरण ने मजाक मजाक में ही उसे खूब पटखनी दी थी और जब अफगानी ने खेलते वक्त धर्म के बारे में अपशब्द कहें तो उन्होंने उसके दोनों और सिर को पकड़ कर भींच दिया था जिससे उसका सिर चकनाचूर हो गया था। वे एक महान यौद्धा के साथ साथ हर जरूरतमंद व्यक्ति के साथी थे।

 

आज हम सभी को जाट राजा खेमकरण की तरह शक्तिशाली बनना था उनकी तरह दानवीर बनना था। हमें भी गांव गांव अखाड़े खोलने थे । लेकिन आज हम नशे और निजी सर्वार्थ में डुब गये है । धर्म कोम ओर देश के चिंतन बंद कर दिया है। इसलिए हमारा आस्तित्व ख़तरे में पड़ता जा रहा है । अभी भी वक्त सम्भल जाओ नहीं तो बहुत बुरे दिन आने वाले हैं । देश में इस्लामिक जेहाद तेजी से अपने पैर पसार रहा है।

 

उनकी 339 वीं जयंती पर उन्हें पुनः कोटि कोटि प्रणाम
लेखक
वीरांगना संजू चौधरी (रोरी)

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