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ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे: शिवलिंग या फव्वारा? जानें कोर्ट कमिश्नर ने रिपोर्ट में क्या बताया

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सूर्या बुलेटिन : ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के बाद रिपोर्ट गुरुवार को वाराणसी सिविल कोर्ट को सौंप दी गई है। तीन दिन तक सर्वे के बाद कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह की ओर से सौंपी गई रिपोर्ट में कई अहम बातें कहीं गई हैं। अजय कुमार मिश्र की तरह विशाल सिंह की रिपोर्ट में भी मस्जिद परिसर में हिंदु आस्था से जुड़े कई निशान मिलने की बात कही गई है। रिपोर्ट में शिवलिंग बताए जा रहे पत्थर को लेकर भी डिटेल में जानकारी दी गई है।

विशाल सिंह की रिपोर्ट में कहा गया है कि वजूखाने में पानी कम करने पर 2.5 फीट का एक गोलाकार आकृति दिखाई दी, जो शिवलिंग जैसा है। गोलाकार आकृति ऊपर से कटा हुआ डिजाइन का अलग सफेद पत्थर है। जिसके बीच आधे इंच से का छेद है, जिसमें सींक डालने पर 63 सेंटीमीटर गहरा पाया गया। इसे वादी पक्ष ने शिवलिंग बताया तो प्रतिवादी पक्ष ने कहा कि यह फव्वार है।




रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदू पक्षकारों ने सर्वे के दौरान कथित फव्वारे को चालकर दिखाने को कहा। हालांकि, मस्जिद कमेटी के मुंशी ने फव्वारा चलाने में असमर्थता जताई। फव्वारे पर मस्जिद कमेटी ने गोल-मोल जवाब दिया। पहले 20 साल और फिर 12 साल से इसके बंद होने की बात कही गई। कथित फव्वारे में पाइप जाने की कोई जगह नहीं मिली है।

हिंदू आस्था के कई निशान
रिपोर्ट में तहखाने के अंदर मिले साक्ष्यों का जिक्र करते हुए कहा है कि दरवाजे से सटे लगभग 2 फीट बाद दीवार पर जमीन से लगभग 3 फीट ऊपर पान के पत्ते के आकार की फूल की आकृति बनी थी, जिसकी संख्या 6 थी। तहखाने में 4 दरवाजे थे, उसके स्थान पर नई ईंट लगाकर उक्त दरावों को बंद कर दिया गया था। तहखाने में 4-4 पुराने खम्भे पुराने तरीके के थे, जिसकी ऊंचाई 8-8 फीट थी। नीचे से ऊपर तक घंटी, कलश, फूल के आकृति पिलर के चारों तरफ बने थे। बीच में 02-02 नए पिलर नए ईंट से बनाए गए थे, जिसकी वीडियोग्राफी कराई गई है। एक खम्भे पर पुरातन हिंदी भाषा में सात लाइनें खुदी हुईं, जो पढ़ने योग्य नहीं थी। लगभग 2 फीट की दफती का भगवान का फोटो दरवाजे के बाएं तरफ दीवार के पास जमीन पर पड़ा हुआ था जो मिट्टी से सना हुआ था।

 

स्वास्तिक और त्रिशूल की कलाकृतियां
रिपोर्ट में कहा गया है कि एक अन्य तहखाने में पश्चिमी दीवार पर हाथी के सूंड की टूटी हुई कलाकृतियां और दीवार के पत्थरों पर स्वास्तिक और त्रिशूल और पान के चिन्ह और उसकी कलाकृतियां बहुत अधिक भाग में खुदी हैं। इसके साथ ही घंटियां जैसी कलाकृतियां भी खुदी हैं। ये सब कलाकृतियां प्राचीन भारतीय मंदिर शैली के रूप में प्रतीत होती है, जो काफी पुरानी है, जिसमें कुछ कलाकृतियां टूट गई हैं।

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