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‘एक्सप्रेस प्रदेश’ बन रहा है यूपी, ग्रामीण इलाकों में भी 15000 Km सड़कें: CM योगी कुछ यूँ बदल रहे रोड इंफ्रास्ट्रक्चर

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सूर्या बुलेटिन : उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार न सिर्फ गाँव-गाँव तक अच्छी सड़कें पहुँचा रही है, बल्कि एक्सप्रेसवे का एक जाल भी बिछा रही है। दिसंबर 2020 में देश के सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि पहले 5 वर्षों (2017-22) में आपने जो देखा, वो तो सिर्फ ट्रेलर है। पूरी फिल्म तो अभी बाकि है  । उन्होंने बताया कि कैसे भाजपा शासन के अंतर्गत उत्तर प्रदेश में पिछले 50 वर्षों से ज्यादा सड़कें इन 5 वर्षों में बन गईं। उनकी मानें तो राज्य को 5 लाख करोड़ रुपए के सड़कों की सौगात अभी मिलनी है।

केंद्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष का ये बयान कोई अतिशयोक्ति नहीं था, क्योंकि 2017 से पहले उत्तर प्रदेश होकर गुजरने वाले और अब वहाँ की यात्रा करने वाले इस फर्क को समझते हैं। हाल ही में चालू किया गया ‘पूर्वांचल एक्सप्रेसवे’ हो या फिर सीएम योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में आकार ले रहा ‘गंगा एक्सप्रेसवे’, राज्य में सड़कों का एक ऐसा जाल बिछ रहा है, जो न सिर्फ इसकी छवि बदल रहा है बल्कि निवेश को भी आकर्षित कर रहा है।




योगी सरकार ने गाँव-गाँव को अच्छी सड़कों से जोड़ा, किसानों को हो रहा सबसे बड़ा फायदा

ऐसा नहीं है कि सिर्फ बड़े-बड़े शहरों में ही सड़कें बनाई जा रही हैं या फिर दुनिया को दिखाने के लिए एक्सप्रेसवे ही बन रहे हैं। सिर्फ ग्रामीण इलाकों में योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अब तक 15,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया है। कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का कार्य गाँवों में और तेज़ी से चल रहा है। 5 वर्षों में 15,246 किलोमीटर सड़कों का निर्माण पिछली सारी सरकारों के रिकार्ड्स को ध्वस्त करता है। तहसील और प्रखंड स्तर के कार्यालयों को दो लेन वाली चौड़ी सड़कों से जोड़ा जा रहा है।

इससे किसानों को भी फायदा हो रहा है, जो अपने उत्पाद को लेकर दूर-दूर तक यात्रा कर सकते हैं। गाँवों को अच्छी सड़कों के जरिए नगरों से जोड़ने पर आम लोगों का भी फायदा है। योगी सरकार ने 1557 ‘राजस्व गाँवों’ को चिह्नित कर के इन्हें शहरों से जोड़ने के लिए  1114 करोड़ रुपए में 1763 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। अब तक 1546 ‘रिवेन्यू विलेजेज’ को 1740.24 किलोमीटर सड़कों के जरिए जोड़ा जा चुका है। साथ ही 1407 करोड़ रुपए खर्च कर के 2173.60 किलोमीटर सड़कों के माध्यम से 1717 गाँवों को बड़े राजमार्गों से जोड़ा गया है।

इसके अलावा ‘मुख्यमंत्री समग्र ग्राम विकास योजना’ के तहत भी 29 किलोमीटर सड़क बना कर 33 ‘Revenue Villages’ को 14.35 करोड़ रुपए खर्च कर के जोड़ा गया है। 26 ऐसे तहसील मुख्यालय बचे थे, जिन्हें दो लेन की सड़कों से नहीं जोड़ा गया था। इसके लिए 270 किलोमीटर रोड बनाए गए और इसमें 387 करोड़ रुपए खर्च आए। इसी तरह 144 प्रखंड मुख्यालयों को 1282 किलोमीटर की सड़कों के जरिए जोड़ा जा रहा है, जिसमें 2088 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में बिछाए जा रहे एक्सप्रेसवेज के जाल

हाल ही में जिस ‘पूर्वांचल एक्सप्रेसवे’ का जिक्र कर लेते हैं, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया। इस पर उनका विमान भी लैंड किया और हमें भारतीय वायुसेना का एक ‘एयर शो’ भी देखने को मिला। 341 किलोमीटर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे राजधानी लखनऊ के चाँद सराय से गाजीपुर तक जाता है। इसके निर्माण के बाद दिल्ली से गाजीपुर की दूरी मात्र 10 घंटे में पूरी हो जाती है। इसे बनाने में 22,497 करोड़ रुपए एक खर्च आया है। लखनऊ, बाराबंकी, अमेठी, अयोध्या, सुल्तानपुर, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, मऊ और गाजीपुर – ये वो 9 जिले हैं, जिन्हें पूर्वांचल एक्सप्रेसवे आपस में जोड़ता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जुलाई 2018 में आजमगढ़ में इसकी आधारशिला रखी थी। ये एक्सप्रेसवे गाजीपुर में NH-31 पर स्थित हैदरिया गाँव में आकर ख़त्म होता है। इससे बिहार वासियों को भी फायदा मिलेगा, क्योंकि इस गांव की दूरी बिहार सीमा से मात्र 18 किलोमीटर ही है। फ़िलहाल ये 6 लेन का है, लेकिन इसे इस तरह से  बनया गया  कि भविष्य में 8 लेन भी किया जा सके। अक्टूबर 2018 में इसका निर्माण कार्य शुरू हुआ था। इस हिसाब से इसे 3 वर्षों में पूरा कर लिया गया है।

इसके अलावा 2018 में उद्घाटन किया गया ‘आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे’, आने वाला 296 किलोमीटर लंबा ‘बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे’, 91 किलोमीटर लंबा ‘गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे’ और 594 किलोमीटर लंबा ‘गंगा एक्सप्रेसवे’ उत्तर प्रदेश की पूरी तस्वीर ही बदल कर रख देगा। इन सभी के पूरे होने जाने के बाद उत्तर प्रदेश में 1788 किलोमीटर के लम्बे एक्सप्रेसवे का जाल बिछ जाएगा, जबकि फ़िलहाल पूरे भारत में 2049 किलोमीटर एक्सप्रेसवे का जाल बिछा हुआ है।

‘उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (UPEIDA)’ इस निर्माण कार्य का पूरा जिम्मा उठा रहा है। लखनऊ से दिल्ली और देश के बाकी बड़े महानगरों के जुड़ने से उत्तर प्रदेश की सामाजिक-आर्थिक संरचना भी बदल रही है। इसी तरह 5876 करोड़ रुपए खर्च कर के बन रहा ‘गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे’ गोरखपुर को आजमगढ़, आंबेडकर नगर और संत कबीर नगर को जोड़ेगा। उम्मीद है कि जल्द ही ये भी चालू हो जाएगा। वहीं 6 लेन वाला ‘गंगा एक्सप्रेसवे’ भी मेरठ को प्रयागराज से जोड़ेगा।

इन सभी एक्सप्रेसवेज के आसपास इंडस्ट्रियल हब्स भी बनाव जा रहे हैं। जैसे, महिलाबाद के आम को ही ले लीजिए। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे बन जाने के बाद वो दिल्ली और देश के अन्य बाजारों तक पहुँच रहे हैं। इसी तरह औरैया में NTPC पॉवर प्लांट और GAIL का गैस आधारित पेट्रोकेमिकल कॉम्प्लेक्स है, जिसे ‘बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे’ के चालू होने से फायदा होगा। पिछड़े रहे एक राज्य में इस तरह का विकास 2017 के बाद ही देखने को मिल रहा है।

इसी तरह पहले आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को फंड करने वाला कोई नहीं मिल रहा था, लेकिन UPEIDA ने इसे फंड करने की कोशिश की और 22 महीने में इसे पूरा कर लिया गया। खास बात ये है कि इन परियोजनाओं को समय से पहले पूरा किया जा रहा है। पहले जमीन न मिलने और पर्यावरण सम्बंधित अनुमति न मिलने के कारण ये प्रोजेक्ट्स अटके रह जाते थे। अब इनके बनने से गाँवों में ग्रामीणों की संपत्ति के दाम भी बढ़ते हैं। उन्हें बेहतर सुविधाएँ मिलती हैं।

जब योगी आदित्यनाथ की सरकार सत्ता में आई थी, तब वहाँ दो ही एक्सप्रेसवे चालू अवस्था में थे – एक आगरा को दिल्ली से जोड़ने वाले 165 किलोमीटर लंबा ‘यमुना एक्सप्रेसवे’ और 302 किलोमीटर लंबा लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे। 208-17 के बीच इन्हें पूरा किया गया था। अब उत्तर प्रदेश में 6 एक्सप्रेसवे हो जाएँगे। ‘बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे’ चित्रकूट से इटावा तक बाँदा, महोबा, हमीरपुर, जालौन और औरैया को जोड़ेगा। पारदर्शी प्रक्रियाओं के कारण योगी सरकार को 1132 करोड़ रुपए का फायदा हुआ है, खर्च 12.72% कम हुए हैं।

 

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