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धर्म की रक्षा के लिये पहली बार किसी सन्यासी ने लिया हठयोग का सहारा

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सनातन धर्म के अस्तित्व की रक्षा के लिये यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी ने प्रचण्ड बगलामुखी अनुष्ठान के साथ शुरू किया अनोखा आमरण अनशन

सुर्या बुलेटिन(ग़ाज़ियाबाद) “धर्म और अस्तित्व की रक्षा अब भीख माँगकर या प्रार्थना करके सम्भव नहीँ है।हमने शांति के लिये हर तरह से प्रयास करके देख लिया है।हम हिन्दुओ ने अपनी जनसँख्या को हटाकर महापाप किया है।आज हम ऐसे दौर से गुजर रहे हैं जहाँ अगर कोई जीवित आदमी हिन्दू धर्म के लिये कोई बात भी कह देता है तो उसे बुरी तरह अपमानित और प्रताड़ित करने का काम किया जाता है।केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जी के साथ हो रहा व्यवहार इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।ऐसे में अब ये सोचना की इस देश में हिन्दू की रक्षा के लिये या हित के लिये कोई कानून बनेगा,ये केवल मूर्खता है।अब हिन्दू को इस देश में बहुसंख्यक होने की गलतफहमी छोड़कर स्वयं को संघर्ष के लिये तैयार करना पड़ेगा अन्यथा सर्वनाश बिलकुल करीब है।”

ये विचार आज शिवशक्ति धाम डासना में आमरण अनशन शुरू करते हुए यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने अपने साथियों और शिष्यों को बताए।
उन्होंने कहा की हमारे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी की हमने सनातन धर्म की मूल अवधारणा के विरुद्ध जाकर कठोर जनसँख्या नियंत्रण कानून की बात की जिसके कारण हिन्दू समाज और कमजोर हुआ।मेरा यह अनशन मेरे पाप का पश्चाताप है।अब मेरा अनशन किसी सरकार या नेता से कुछ मांगने के लिये नहीँ है बल्कि अपने हिन्दू शेरो को अधिक से अधिक बच्चे पैदा करने के लिये प्रेरित करने के लिये है।जब तक एक लाख युवा शिवशक्ति धाम डासना में आकर 5 से ज्यादा बच्चे पैदा करने की और धर्म की रक्षा करने की शपथ नहीँ लेते तब तक अनशन चलता रहेगा।यदि अनशन करते हुए शरीर का अंत होता है तो यह उनके लिये बहुत सौभाग्य की बात होगी।
अनशन के साथ ही सनातन धर्म की प्रचण्डतम आध्यात्मिक शक्ति माँ बगलामुखी का महानुष्ठान भी किया जायेगा।यह अनुष्ठान सनातन धर्म के मानने वालों को सद्बुद्धि,बल और शक्ति की प्राप्ति के लिये किया जायेगा।उन्होंने इस अनुष्ठान में हर हिन्दू से भाग लेने का आह्वान किया।
आज आमरण अनशन आरम्भ करने यति नरसिंहानन्द सरस्वती जी महाराज ने माँ बगलामुखी यज्ञ किया और अंतिम सांस तक संघर्ष करने की शपथ दोहराई।

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