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कोविड के कारण स्कूल बंद फिर भी शिक्षकों को जबरन बुलाया जा रहा

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ब्यूरो रिपोर्ट – आकाश निर्वाण यादव

सूर्या बुलेटिन (उत्तर प्रदेश)

 

प्रदेश में जहां कोविड के बढ़ते प्रकोप को दृष्टिगत रखते हुए मार्च से ही सभी सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों को बंद कर दिया गया था वहीं सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों को निरंतर विद्यालयों में बुलाया जा रहा है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यदि वास्तव में विद्यालयों में विद्यार्थी ही नहीं हैं तो फिर शिक्षकों को अनावश्यक ही विद्यालयों में बुलाने की आवश्यकता क्या हैं? वहीं दूसरा प्रश्न यह भी है कि एक ओर जहां सरकार द्वारा विभिन्न प्रचार माध्यमों के द्वारा जन साधारण से अनावश्यक ही घर से बाहर न निकलने की अपील की जा रही है, ऐसे में शिक्षकों को अकारण ही विद्यालयों में बुलाकर बिठाने से क्या लाभ होगा? क्या शिक्षकों को कोरोना से कोई खतरा नहीं? क्या जहां डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहित करने हेतु इतने अभियान चलाए जा रहे हैं वहीं वर्तमान स्थिति को देखते हुए शिक्षकों को घर से काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए? क्या उन्हें या उनके परिवारों को कोविड के विरुद्ध अमरता प्राप्त है?

ऐसे कितने ही प्रश्न हैं जिनके उत्तर देने से शासन प्रशासन अभी तक कतराते रहे हैं। बहरहाल गत वर्ष जब कोरोना संक्रमण अपने चरम पर था तब भी शिक्षक स्कूल जाते रहे एवं संक्रमित होने के कारण कइयों को तो परिवार सहित अत्यंत पीड़ा भी झेलनी पड़ी।

सूर्या बुलेटिन द्वारा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में किए गए सर्वे के अनुसार कई विद्यालयों के शिक्षक अभी तक कोविड पॉजिटिव पाए जा चुके हैं तथा अध्यापकों के बीच यह संक्रमण बढ़ता जा रहा है। ऐसे में देखना ये है कि जहां मुख्यमंत्री स्वयं पॉजिटिव पाए गए तथा घर से ही कार्यरत हैं वहां सरकार एवं प्रशासन विद्यालय के अध्यापकों के हितों के विषय को कितनी गंभीरता से लेता है।

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