हमारे सैनिक सन् 1990 से कश्मीर में इस्लामिक आतंकवाद व इस्लामिक जेहाद से लड रहे हैं। इस लडाई में भारतीय सेना , भारतीय सीमा सुरक्षाबल , केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल , इंडियन तिब्बत बोर्डर पुलिस व जम्मु कश्मीर पुलिस और अन्य अर्द्धसैनिक बलों के जवानों ने अपना बलिदान देकर
पाकिस्तान परस्त इस्लामिक जेहादियों को मुंह तोड जवाब दिया है और इन जेहादियों को प्रतिदिन हमारे सैनिक मौत के घाट उतार रहे हैं।
सेना के लेफ्टिनेंट उमर फैयाज जो कश्मीर मे पुलवामा के रहने वाले थे। आपने किसी नजदीकी रिश्तेदार के यहां शादी में शामिल होने छुट्टी पर गए थे। इस दौरान 10 मई 2017 को आतंकवादियों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। पुरे देशवासियों ने अपने एक यंग अधीकार के शहीद होने पर दुख जताया। सभी TV चैनल पर लेफ्टिनेंट उमर फैयाज को दो दिन तक दिखाया गया और सभी समाचार पत्रों में भी इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। सभी को दिखाना भी चाहिए क्योंकि लेफ्टिनेंट उमर फैयाज भारत सेना के सदस्य थे। मुझे इससे कोई आपत्ती नही है ।

लेकिन वर्ष 2017 में सेना के 83 जवानों ने इस्लामिक जेहादियों से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा की। लेकिन इन सभी चैनलों पर उन सैनिकों की शहादत नहीं दिखाई गई । सिर्फ बहुत छोटी सी खबर दिखाई जाती है कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए दो जवान शहीद हो गए हैं या दिखाया जाता है आज आतंकवादियों से मुठभेड़ में तीन जवान शहीद ओर चार आतंकवादी ढेर। इसी तरह से समाचार पत्रों में भी बहुत छोटी सी खबर लिखी होती है । ये सब इसलिए होता है क्योंकि देश पर अपना सब कुछ बलिदान करने वाला हिन्दू धर्म या सिख धर्म का मानने वाला है।
इसी तरह की एक और घटना है । सेना का एक जवान औरंगजेब जो पूंछ का रहने वाला था छुट्टी लेकर ईद मनाने अपने घर जा रहा था। 14 जून 2018 को औरंगजेब का अपहरण कर आतंकवादी बर्बरतापूर्ण हत्या कर देते हैं। इस हत्या की पुरा देश निन्दा करता है। सभी समाचार चैनलों पर औरंगजेब की शहादत को दो दिन तक दिखाया जाता है। सभी समाचार पत्रों के मुख्य पृष्ठ पर औरंगजेब से संबंधित खबर छपती है। छपनी भी चाहिए क्योंकि ये सेना के सैनिक के सम्मान का प्रशन हैं।
जनवरी 2018 से जुलाई 2018 तक कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए सेना के 43 जवान शहीद हो जाते हैं। लेकिन इन जवानों के बारे में समाचार चैनलों पर कोई बड़ी खबर नहीं दिखाई जाती हैं और न ही उन जवानों के नाम लिऐ जातें हैं । हम सभी देशवासियों को उन जवानों के बारे कुछ नहीं बताया जाता है वो कहां के रहने वाले हैं उनका परिवार क्या करता है। बस इन जवानों का इतना ही दोष होता है की वो हिन्दू धर्म के मानने वाले होते हैं। देश के ऊपर अपनी जान निछावर करने वाले हिन्दू सिपाहियों के परिवार वालों से मिलने कोई एक दो TV चैनल वाले ही जाते हैं । यदि कोई मुस्लिम समुदाय का सिपाही शहीद होता है तो सभी चैनल वाले उनके घर के बहार खड़े रहते हैं।
मेरी शिकायत उन सभी चैनलों से ओर उन सभी समाचार पत्रों से जो सिपाहियों के बलिदान को हिन्दू मुस्लिम में बांट रहे हैं । हिन्दू सैनिकों के शहीद होने पर उनको भी उतना ही कवरेज दो जितनी मुस्लिम सैनिकों को देते हो।
इस तरह से मेरी शिकायत भारत सरकार से भी है । जब औरंगजेब छूटी जाते समय आतंकवादियों के द्वारा मार जाता है । तो उनके परिवार वालों से मिलने स्वयम रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन जाती हैं । भारतीय सेना के जनरल बिपिन रावत भी औरंगजेब के परिवार से मिलने जाते हैं ।
कश्मीर में आतंकवादियों से लड़ते हुए उनके ही कार्यकाल में सैकड़ों हिन्दू सिपाहियों ने अपना बलिदान दिया है। लेकिन रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन व जनरल बिपिन रावत वीरगति को प्राप्त हिन्दू सैनिकों के घर परिवार वालों से मिलने नहीं गए । हिन्दू सिपाही का पार्थिव शरीर जब उनके गांव पहोचता है तो उस जिले का जिलाधिकारी भी उनके अंतिम संस्कार में शामिल नहीं होता है ओर उस परिवार से मिलने भी नहीं जाता है । कभी कभी तो क्षैत्र के विधायक व सांसद भी हिन्दू शहीद जवानों के घर पर मिलने नहीं जातें हैं । रक्षामंत्री जी व सेना के जनरल द्वारा इस तरह का भेद भाव बहुत ही दुखद व शर्मनाक है।
अब जल्द ही केन्द्र सरकार के लिए चुनाव भी होने वाले हैं । सैनिकों के परिवार भी आपके इन सभी हरकतों को देख रहे हैं और पुरा देश इस तरह के तुष्टिकरण से छुब्ध है। अभी भी समय है हिन्दू सैनिकों के साथ सौतेला व्यवहार बंद करों ।
बाबा परमेन्द्र आर्य
पूर्व सैनिक
बहुत बढ़िया